LK Advani: PM मोदी के राजनैतिक गुरु लाल कृष्ण आडवाणी प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन पाए

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LK Advani: PM मोदी के राजनैतिक गुरु लाल कृष्ण आडवाणी प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन पाए
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LK Advani: PM मोदी के राजनैतिक गुरु लाल कृष्ण आडवाणी प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन पाए। कल (8 नवंबर) को, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी का जन्मदिन है। उन्होंने 96 साल पूरे किए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें X पोस्ट पर जन्मदिन की शुभकामनाएं भेजीं, उन्होंने लिखा, ‘लालकृष्ण आडवाणी जी, जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। वे ईमानदारी और समर्पण के प्रतीक हैं, जिन्होंने महान योगदान दिया है, जिससे हमारा देश मजबूत हुआ है।

PM मोदी ने LK Advani को दी जन्मदिन की बधाई

अप्रैल 2002 के दूसरे सप्ताह में, गोवा में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठी थी। मीडिया और राजनीतिक कक्षों में यह विचार हो रहा था कि गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी के भविष्य पर कौन-कौन सी निर्णय हो सकती है। दिल्ली से उड़ा जा रहा एक विशेष विमान में, प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सहित गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी (LK Advani) बैठे थे, जबकि समुद्र के ऊपर एक जहाज उड़ रहा था और उसमें विदेश मंत्री जसवंत सिंह और सूचना तकनीकी मंत्री अरुण शौरी भी मौजूद थे।

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BJP ने LK Advani को क्यों नहीं दिया मौका

एक बीजेपी के उच्च नेता ने बताया कि इस दो-घंटे के सफर में पहले गुजरात पर विचारविमर्श हुआ। अटल जी गंभीर मुद्रा में बैठे थे, जब उनकी चुप्पी को जसवंत सिंह ने तोड़ी, कहते हुए, ‘अटल जी, आपका क्या दृष्टिकोण है?’ अटल जी ने उत्तर दिया, ‘कम से कम इस्तीफ़ा तो करते.’ तब LK Advani ने कहा कि अगर नरेन्द्र भाई का इस्तीफ़ा देना गुजरात को सुधारता है, तो मैं भी उन्हें इस्तीफ़ा देने के लिए कहूँगा, लेकिन मैं नहीं मानता कि इससे हालात सुधरेंगे और मुझे यह भी यकीन नहीं है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी उनके इस्तीफ़े को स्वीकार करेगी।

मोदी को लेकर वाजपेयी और आडवाणी के मतभेद

सभी जानते हैं कि वाजपेयी की इच्छा के बावजूद, LK Advani के कारण नरेन्द्र मोदी का मुख्यमंत्री पद उस दिन बच गया था। लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी किताब “माई कंट्री माई लाइफ़” में लिखा है कि वाजपेयी और मैंने जिन दो बड़े मुद्दों पर एक राय नहीं बनाई थी, उनमें पहला अयोध्या का मुद्दा था, जिस पर आख़िर में वाजपेयी ने पार्टी की राय को माना और दूसरा मामला था – गुजरात दंगों पर नरेन्द्र मोदी के इस्तीफ़े की मांग।

LK Advani ने लिखा है कि गोधरा में बड़ी संख्या में कारसेवकों की मौत के बाद, गुजरात में साम्प्रदायिक दंगे हुए थे। उसके बाद, विपक्षी पार्टियाँ मोदी के इस्तीफे की मांग करने लगीं थीं। एनडीए में कुछ और बीजेपी में भी कुछ लोग इसे अपील कर रहे थे कि मोदी को इस्तीफा देना चाहिए। मेरी राय इससे बिलकुल उलटी थी, जो करीब 18 साल पहले हुई थी, जब बीजेपी की हार के बाद मोदी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तरफ से भेजा गया था और LK Advani ने उन्हें गुजरात में काम की ज़िम्मेदारी सौंपी थी। बाद में, LK Advani की इच्छा पर ही उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया।

मोदी और आडवाणी का रिश्ता

नरेंद्र मोदी को LK Advani के साथ गुजरात में राम रथयात्रा का आयोजन करने की जिम्मेदारी थी। इस रथयात्रा ने पूरे देश में व्यापक समर्थन प्राप्त किया था, लेकिन बिहार में लालू यादव की सरकार ने LK Advani को गिरफ्तार किया था। 6 दिसम्बर 1992 को, आडवाणी ने अयोध्या में कारसेवकों को मस्जिद ढहाने से रोकने की अपील की, जिसके परिणामस्वरूप मस्जिद गिराई गई। इसके बाद, मौजूदा सरकार में सीबीआई ने इस मामले में उनके खिलाफ चार्जशीट दायर की है।

मोदी ने किया था LK Advani का समर्थन

आडवाणी और मोदी के बीच एक दशकों तक एक मानवीय और आत्मिक संबंध बना रहा, जो गुरु-शिष्य की भावना से परिपूर्ण था। मोदी ने आडवाणी को गुजरात से सांसद बनाए रखने में बनाए रखा और इसके बावजूद, उनका विशेष संबंध हमेशा बना रहा। 2009 के आम चुनावों के दौरान मोदी ने एक इंटरव्यू में बताया कि बीजेपी के कार्यकर्ताओं का सपना है LK Advani को प्रधानमंत्री बनाना, जो इस रिश्ते को और भी मजबूत बनाए रखता है।

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