National Youth Day 2024: कुछ ऐसे युवाओं की कहानी जो समाज और धर्म की भलाई के लिए अपनी लग्जरी लाइफ छोड़कर बन गए संत  

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National Youth Day 2024: कुछ ऐसे युवाओं की कहानी जो समाज और धर्म की भलाई के लिए अपनी लग्जरी लाइफ छोड़कर बन गए संत  
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National Youth Day 2024: कुछ ऐसे युवाओं की कहानी जो समाज और धर्म की भलाई के लिए अपनी लग्जरी लाइफ छोड़कर बन गए संत। हमारे देश में कुछ ऐसे युवा संत है, जिन्होंने कम आयु में उच्च शिक्षा प्राप्त की है और अब समाज सेवा के साथ ही धर्म के प्रसार-प्रचार का कार्य कर रहे हैं। परिवार का सुख और समृद्धि के साथ सब कुछ होता है। मैंने एमए, ट्रिपल एमए तक पढ़ाई की है। फिर भी, कई युवा धर्म के लिए संन्यास का मार्ग चुनने में जुट गए हैं।

MA पास महंत शिवम की प्रेरणादायक कहानी

धर्मनगरी में, ऐसे अनेक युवा संत हैं, जोने अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के बाद संन्यास लिया है और अब समाज सेवा और धर्म के प्रचार-प्रसार का कार्य कर रहे हैं। एमए पास करने के बाद संत बने महंत शिवम। महंत शिवम ने योग विषय में एमए किया है। उन्होंने युवा होते ही संन्यास लिया और संत बन गए। उनका कहना है कि गुरु परंपरा को देखकर उन्होंने संन्यास का मार्ग अपनाया। संत बनकर, उनका उद्देश्य अपने जीवन को समर्थन करना और लोगों को मार्गदर्शन करना है, सेवा करना है।

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National Youth Day 2024: कुछ ऐसे युवाओं की कहानी जो समाज और धर्म की भलाई के लिए अपनी लग्जरी लाइफ छोड़कर बन गए संत  

स्वामी विवेकांनद की तरह प्रेरणादायक है स्वामी रविदेव शास्त्री की कहानी

गुरु के सानिध्य में स्वयं को आत्मसमर्पण का अनुभव करते हुए, शास्त्री ने ट्रिपल एमए की उच्च शिक्षा प्राप्त की है। उन्होंने साझा किया कि बचपन में परिवार से दूर रहकर, उन्होंने अपने गुरु की सेवा में समर्पित हो गए। उन्होंने अपने गुरु को देखकर ही यह निर्णय लिया कि उन्हें संत बनने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि उनका संन्यास राष्ट्रहित, समाज सेवा, और धर्म की रक्षा के लिए है।

पढ़ाई के दौरान ही संत बने महंत ओमानंद

पढ़ाई करते-करते, महंत ओमानंद ने संत बनने का साधना किया है। वर्तमान में, वह संस्कृत से ग्रेजुएशन कर रहे हैं। तीन साल पहले, उन्होंने संन्यास लिया और संतता का मार्ग अपनाया। महंत ओमानंद ने बताया कि उन्होंने युवा पीढ़ी को विभिन्न करियर विकल्पों की दिशा में बढ़ते हुए देखा, लेकिन उन्होंने अपने आत्म-निर्भरता के माध्यम से संतता का चयन किया। उन्होंने जीवन को सांस्कृतिक मूल्यों के साथ जीने का निर्णय लिया है और इसे अपना कर रहे हैं।

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National Youth Day 2024 की प्रेरणादायक कहानी

सनातन की रक्षा का उद्देश्य: स्वामी विवेकांनद की तरह इस कलयुग में भी एक युवा संत स्वामी विवेकांनद है। ने बताया कि उन्होंने अपने शिक्षा-ग्रहण के दौरान वेदांताचार्य का पद अपनाया है। उन्होंने अपने किशोरावस्था में ही सनातन धरोहर की रक्षा के लिए संतता का मार्ग चुना था। उनका उद्देश्य भटकते हुए लोगों को सही मार्ग पर लाना है और हिंदू धर्म, सनातन संस्कृति को समझाना और प्रमोट करना है। उनका मुख्य लक्ष्य जीवन में इस उद्देश्य को पूरा करना है।

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