ब्लैक बंगाल बकरी के 1 किलो दूध की कीमत 200 रुपए तक पशुपालक कर रहे है अच्छी कमाई, जाने ब्लैक बंगाल बकरी की विशेषताएँ और फायदे, ब्लेक बंगाल नस्ल का बकरी पालन पशुपालक खूब पसंद करते है. इस नस्ल की बकरी किसी भी वातावरण में आसानी से ढल जताई है. इस नस्ल की बकरी की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी काफी अधिक होती है. इस नस्ल की बकरी रोजाना 1 से 1.5 किलो तक दूध देती है.जिसका दूध 200 से 300 रुपए किलो के दर से बिक्री होती है इस नस्ल की बकरी पालन कर पशुपालक अच्छी खासी कमाई कर सकते है.
ब्लैक बंगाल बकरी की विशेषताएं
छोटे कद की: ये बकरियां आकार में छोटी होती हैं, जिससे इन्हें कम जगह में पाला जा सकता है।
अधिक प्रजनन क्षमता: ये नस्ल साल में 3 से 4 बार बच्चे देती है, जिससे दुग्ध उत्पादन और बकरी की संख्या तेजी से बढ़ती है।
स्वादिष्ट मांस: इनका मांस बहुत ही स्वादिष्ट होता है और इसकी मांग बाजार में काफी अधिक है।
उत्तम कोटि की खाल: इनकी खाल भी बहुत अच्छी होती है और इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाने में किया जाता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता: ये बकरियां कई बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी होती हैं, जिससे इनका पालन करना आसान होता है।
कम लागत में पालन: इन्हें पालने के लिए बहुत अधिक खर्च नहीं आता है, जिससे छोटे किसान भी आसानी से इनका पालन कर सकते हैं।
ये भी पढ़िए: काले टमाटर की खेती से किसान बन रहे है लखपति, जाने कब कर सकते है काले टमाटर की खेती और क्या है औषधीय गुण
ब्लैक बंगाल बकरी पालन के फायदे
कम लागत में अधिक मुनाफा: कम लागत में अधिक दूध और मांस का उत्पादन होता है।
रोजगार के अवसर: बकरी पालन से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।
आर्थिक स्थिति में सुधार: बकरी पालन से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
पर्यावरण के लिए फायदेमंद: बकरी पालन पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होता है।
ब्लैक बंगाल बकरी पालन के लिए आवश्यक चीजें
बकरी शेड: बकरियों को रखने के लिए एक साफ-सुथरा शेड होना चाहिए।
चारा: बकरियों को ताजा और पौष्टिक चारा दिया जाना चाहिए।
पानी: बकरियों को हमेशा साफ पानी उपलब्ध होना चाहिए।
स्वास्थ्य देखभाल: बकरियों को नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करानी चाहिए।
ब्लैक बंगाल बकरी पालन से जुड़ी चुनौतियां
बीमारियां: बकरियां कई प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त हो सकती हैं।
शिकारी जानवर: कुत्ते, लोमड़ी आदि शिकारी जानवर बकरियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
बाजार की समस्या: बकरी उत्पादों का उचित मूल्य न मिलने की समस्या हो सकती है।