BASANT PANCHAMI SHUBH MUHURAT: बसंत पंचमी पर 19 साल बाद बन रहा ऐसा अद्भुत संयोग, शुभ मुहूर्त में करें माँ सरस्वती की पूजा

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BASANT PANCHAMI SHUBH MUHURAT: बसंत पंचमी पर 19 साल बाद बन रहा ऐसा अद्भुत संयोग, शुभ मुहूर्त में करें माँ सरस्वती की पूजा
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BASANT PANCHAMI SHUBH MUHURAT: बसंत पंचमी पर 19 साल बाद बन रहा ऐसा अद्भुत संयोग, शुभ मुहूर्त में करें माँ सरस्वती की पूजा। इस साल बसंत पंचमी के दिन, पंचमी तिथि के साथ, रेवती नक्षत्र के साथ चतुग्रही योग बन रहा है। फरवरी माह को प्यार का माह कहा जाता है। इन दिनों, प्रेमी जोड़े वैलेंटाइन वीक का जश्न मना रहे हैं। इस बार वैलेंटाइन डे अत्यंत विशेष होगा, क्योंकि वैलेंटाइन डे के दिन ही बसंत पंचमी का त्योहार भी होगा। 19 साल के बाद, इस विशेष संयोग के दिन पर, जो प्रेमी जोड़े विवाह के बंधन में बंध रहे हैं, उनके लिए भी यह दिन विशेष है।

इस बार BASANT PANCHAMI पर बन रहे ये शुभ संयोग

ज्योतिष विद्वानों के अनुसार इस साल बसंत पंचमी के दिन, पंचमी तिथि के साथ, रेवती नक्षत्र के साथ चतुग्रही योग बन रहा है। बसंत पंचमी पर वैलेंटाइन डे होने से यह दिन विशेष हो गया है। इस दिन विवाह का अद्भुत मुहूर्त होता है। पंडित विष्णु दाधीच ने बताया कि बसंत पंचमी पर विद्यालयों में मां सरस्वती की पूजा-अर्चना होगी। लगभग 19 साल के बाद, इस बार बसंत पंचमी के दिन, वैलेंटाइन डे का जश्न भी मनाया जाएगा। हालांकि, वैलेंटाइन डे पर पश्चिमी संस्कृति का विकृत रूप देखा जा रहा है।

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BASANT PANCHAMI SHUBH MUHURAT

बसंत पंचमी के दिन, अबूझ मुहूर्त में विद्यारंभ, नए घर में प्रवेश, विवाह, और नई वस्तुओं की खरीदारी की यात्रा को बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन, बुध, गुरु, शुक्र, और शनि ग्रह शनि की राशि मकर में चतुग्रही योग बनाते हैं। मंगल अपनी राशि में विद्यमान रहते हुए इस दिन का महत्व बढ़ाएगा। माँ सरस्वती की पूजा वाले दिन की खास बात यह है कि इस दिन शिववास भी होता है, जो इसे और भी अधिक महत्वपूर्ण बनाता है। विद्यार्थियों को माता सरस्वती के अलावा भगवान शिव का भी आशीर्वाद मिलेगा।

BASANT PANCHAMI SHUBH MUHURAT: बसंत पंचमी पर 19 साल बाद बन रहा ऐसा अद्भुत संयोग, शुभ मुहूर्त में करें माँ सरस्वती की पूजा

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माँ सरस्वती की पूजा का शुभ समय

शुभ मुहूर्त प्रातः 6:59 से रात्रि 8:27 तक कुंभ लग्न और उसके पश्चात 9:53 से 11:27 बजे तक मेष लग्न रहेगा, जो सरस्वती पूजन के लिए अत्यंत शुभ है। दिन के 12:00 बजे से 1:30 बजे तक राहुकाल रहेगा, जिसे त्यागना चाहिए। चार और स्थिर लग्न में पूजा साधक को पूर्ण लाभ प्रदान करती है। इस दिन का माहौल इतना मधुर होता है कि विद्वानों की सलाह के बिना ही कोई विवाह के बंधन में बंध सकता है। यह उत्सव माघ महीने की शुक्ल पंचमी से प्रारंभ होकर होलिका दहन तक चलता है।

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