Vladimir Putin: ‘मोदी की गारंटी’ के आगे झुके रुसी राष्ट्रपति पुतिन! PM मोदी की तारीफ में पड़े कसीदे। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने अभिवादन दिया कि रूस और भारत के बीच संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं और इसका क्रेडिट प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों को जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी भारत के हित में किसी भी निर्णय को लेने में डरने या दबाव में किया जा सकने की कल्पना करना मुश्किल है।
यूक्रेन में जंग के दौरान, पुतिन (Vladimir Putin) ने पुनः मोदी की प्रशंसा की और कहा कि उनकी नीतियां भारत और रूस के बीच संबंधों को और भी मजबूत बनाए रखने का सुनिश्चित करेंगी। पुतिन ने गर्व के साथ कहा कि रूस और भारत के बीच के संबंध मजबूत हो रहे हैं और इसका कारण प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों में है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें कभी भी यह कल्पना नहीं की जा सकती है कि मोदी भारत के हित में कोई भी निर्णय लेने के लिए डराया-धमकाया या मजबूर किया जा सकता है।
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Vladimir Putin ने ‘मेक इन इंडिया’ को सराहा
पुतिन ने यह भी जाहिर किया कि वे जानते हैं कि मोदी पर इस तरह का दबाव है, हालांकि इस बारे में उनसे कभी चर्चा नहीं हुई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे बाहर से इसे देख रहे हैं और मोदी के सख्त स्थान को देखकर वे कई बार चौंक जाते हैं, जब वह भारत और भारतीय लोगों के हितों की रक्षा करने के लिए निर्धारित हैं। इस साल जून में, एक कार्यक्रम में Vladimir Putin ने मोदी सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ योजना की प्रशंसा की थी। उन्होंने मोदी सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी रूस के गहरे दोस्त हैं।
भारत और रूस की दोस्ती पर क्या बोले Vladimir Putin
रूसी राष्ट्रपति Vladimir Putin ने यह भी जताया कि मेक इन इंडिया ने भारतीय अर्थव्यवस्था को कैसे प्रेरित किया है और इसमें सकारात्मक परिणाम दिखाए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और रूस के बीच इस योजना के माध्यम से दोनों देशों के बीच मित्रता को मजबूत किया जा रहा है और यह अच्छे दिनों की सीढ़ी की ओर कदम बढ़ा रहा है। रूस और भारत के बीच की दोस्ती उस समय से ज़ारी है, जब रूस अभी सोवियत संघ था. नेहरू के समय से ही भारत ने सोवियत संघ के साथ मजबूत और वैचारिक रिश्तों की शुरुआत की थी।
रूस-भारत के साथ सजग और मजबूत रिश्ते
आजादी के बाद, 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय, यह दोस्ती और भी मजबूत हुई. इस युद्ध में, सोवियत संघ ने भारत का समर्थन किया, जबकि अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ था. 1971 के युद्ध से पहले ही, एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ था जिसमें सोवियत संघ ने भारत को यह आश्वासन दिया कि युद्ध के समय वह न केवल राजनीतिक रूप से, बल्कि सैन्य के क्षेत्र में भी उसके साथ खड़ा रहेगा. इसके बाद, 1999 में जब भारत ने परमाणु परीक्षण किया, तो अमेरिका ने इसका विरोध किया और तरह-तरह के प्रतिबंध लगाए, जबकि रूस ने ऐसा कुछ नहीं किया।