ujjain mahakal: नागपंचमी पर खुला वो मंदिर जो साल में बस एक दिन खुलता है – देखिए उज्जैन की आस्था की तस्वीरें

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ujjain mahakal: नागपंचमी पर खुला वो मंदिर जो साल में बस एक दिन खुलता है – देखिए उज्जैन की आस्था की तस्वीरें
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ujjain mahakal: नागपंचमी पर खुला वो मंदिर जो साल में बस एक दिन खुलता है – देखिए उज्जैन की आस्था की तस्वीरेंउज्जैन की धरती एक बार फिर आस्था के महासागर से भीग गई, जब नागपंचमी 2025 के शुभ अवसर पर महाकालेश्वर मंदिर परिसर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट सिर्फ एक दिन के लिए खोले गए। ये वही मंदिर है जो साल भर में सिर्फ एक बार — नागपंचमी के दिन खुलता है। इस विशेष दिन पर देशभर से लाखों श्रद्धालु उज्जैन पहुंचे और बारिश में भीगते हुए भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन किए।


ujjain mahakal: क्या है नागचंद्रेश्वर मंदिर की खासियत?

नागचंद्रेश्वर मंदिर, महाकालेश्वर मंदिर की ऊपरी मंजिल पर स्थित है। यह मंदिर एक विशेष शिवलिंग को समर्पित है जिसमें भगवान शंकर नागराज वासुकी के साथ विराजमान हैं। मान्यता है कि यहां जो भी श्रद्धा से दर्शन करता है, उसे सांपों से कोई भय नहीं रहता और जीवन में शांति बनी रहती है।

यह मंदिर आम दिनों में बंद रहता है, क्योंकि इसका गर्भगृह अत्यंत शक्तिशाली और रहस्यमयी माना गया है। साल में सिर्फ एक दिन — नागपंचमी पर — इसका द्वार खोला जाता है।

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कैसा रहा 2025 का नागपंचमी आयोजन?

29 जुलाई 2025, मंगलवार को नागपंचमी के दिन सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लग गईं। मौसम ने साथ नहीं दिया, लेकिन भक्तों की श्रद्धा और भक्ति ने सब जीत लिया। बारिश की बूंदों के बीच भी भक्तों का उत्साह कम नहीं हुआ।

महाकाल मंदिर प्रशासन ने दर्शन व्यवस्था के लिए विशेष इंतजाम किए थे। सुरक्षा, लाइनिंग, छांव, पेयजल, मेडिकल सुविधा से लेकर भक्तों के ठहरने के लिए भी उचित व्यवस्था की गई थी।

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कितने लोग पहुंचे दर्शन को?

प्रशासन के अनुसार, इस वर्ष लगभग 6 लाख से ज्यादा श्रद्धालु उज्जैन पहुंचे। दर्शन की सुविधा को देखते हुए मंदिर प्रांगण में ऑनलाइन और ऑफलाइन दर्शन की व्यवस्था की गई थी।


नागपंचमी का धार्मिक महत्व

नागपंचमी हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है। इस दिन लोग नागदेवता की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद से सर्प दोष, कालसर्प योग और अन्य पीड़ाओं से मुक्ति पाते हैं। विशेष रूप से इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और नागदेवता की कथा सुनती हैं।

महाकाल मंदिर में नागपंचमी पर विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। पुरोहित वेद मंत्रों के साथ विशेष रुद्राभिषेक करते हैं, और नागदेवता के अभिषेक में दूध, बेलपत्र, दूर्वा, केसर और चंदन का उपयोग होता है।


कैसे होते हैं दर्शन?

नागचंद्रेश्वर मंदिर की पहली मंजिल पर जाना आम दिनों में वर्जित है। नागपंचमी के दिन मंदिर सुबह 3 बजे खुलता है और रात 11 बजे तक दर्शन की सुविधा रहती है। श्रद्धालु सीढ़ियों के माध्यम से मंदिर की ऊपरी मंजिल पर पहुंचते हैं और कुछ क्षणों के लिए भगवान के दुर्लभ दर्शन का लाभ उठाते हैं।

दर्शन समय को लेकर प्रशासन बहुत सतर्क रहता है ताकि किसी भी प्रकार की अव्यवस्था या दुर्घटना न हो।


मंदिर की मूर्ति और उसकी विशेषता

नागचंद्रेश्वर मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यहां स्थापित मूर्ति है, जिसमें भगवान शिव नागों की माला पहने और नागराज वासुकी के साथ दिखते हैं। यह मूर्ति लगभग 11वीं सदी की मानी जाती है और दक्षिण भारतीय स्थापत्य कला का बेहतरीन उदाहरण है।

इस मूर्ति की खास बात यह है कि भगवान शंकर के सिर पर चंद्रमा, गले में सर्प और चारों ओर नागों की उपस्थिति इसे अत्यंत प्रभावशाली और अलौकिक बनाती है।


श्रद्धालुओं की आस्था ने बनाया माहौल भव्य

मंदिर परिसर में भजन, मंत्रोच्चारण और घंटियों की गूंज पूरे वातावरण को भक्तिमय बना देती है। बारिश में भी श्रद्धालु पूरे अनुशासन और शांतिपूर्वक दर्शन की प्रतीक्षा करते हैं।

कई श्रद्धालु तो ऐसे भी होते हैं जो 24 घंटे पहले से ही कतार में लग जाते हैं ताकि सुबह होते ही उन्हें पहले दर्शन मिल जाएं।


प्रशासन और सेवा समितियों की भूमिका

इस आयोजन को सफल बनाने में मंदिर समिति, स्थानीय पुलिस, नगर निगम और अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं का बड़ा योगदान रहता है। सेवा समितियां पानी, भोजन, प्राथमिक चिकित्सा और मार्गदर्शन जैसी सेवाएं निःशुल्क प्रदान करती हैं।

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श्रद्धालुओं

नागपंचमी पर उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर सिर्फ एक मंदिर नहीं, आस्था का प्रतीक है। एक दिन के लिए खुलने वाला यह मंदिर लाखों भक्तों को न सिर्फ आध्यात्मिक शांति देता है बल्कि यह संदेश भी देता है कि सच्ची श्रद्धा किसी भी परिस्थिति को पार कर सकती है।

अगर आपने अब तक इस अलौकिक दृश्य को नहीं देखा है, तो अगली नागपंचमी पर उज्जैन जरूर जाएं और एक बार इस चमत्कारी दर्शन का अनुभव लें।

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