Tulsi Vivah 2023: तुलसी विवाह पर इस आरती और मंत्र से करें विष्णु प्रिया को प्रसन्न। हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को तुलसी माता का दर्जा दिया जाता है। हिंदू समुदाय के लोगों के घरों में रोजाना सुबह शाम तुलसी की पूजा की जाती है, और ऐसी मान्यता है प्रतिदिन तुलसी पूजा करने से घर में कभी दरिद्रता का वास नहीं होता। धर्म ग्रंथों में तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) का दिन भगवान विष्णु और तुसली माता को प्रसन्न करने के लिए बेहद शुभ माना जाता है।
हिन्दू धर्म में Tulsi Vivah का महत्त्व
मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपनी निद्रा से जागते हैं और Tulsi Vivah के दिन ही तुलसी जी का विवाह भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम के साथ कराया जाता है। जो व्यक्ति दिवाली के बाद पढ़ने वाले Tulsi Vivah के दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ अपने घर में तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराता है। उसके परिवार में सुख-समृद्धि हमेशा बनी रहती है। धन-धान्य से घर के भंडार भरे रहते है। अगर आप भी अपनी सभी समस्याओं से झुटकारा चाहते है और आर्थिक तंगी को दूर करना चाहते है तो Tulsi Vivah पर भगवान विष्णु और तुलसी माता को प्रसन्न करें।
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क्यों मनाया जाता है Tulsi Vivah पर्व
भारतीय सांस्कृतिक विरासत में विभिन्न पर्व और त्योहारों का अपना महत्व है, जो भक्ति और समर्पण के रूप में आते हैं। Tulsi Vivah का पर्व लोगों को भगवान विष्णु के साथ श्रीतुलसी की अद्भुत विवाह की कथा का स्मरण कराता है। तुलसी को हिन्दू धर्म में पवित्र मना जाता है और उसे विष्णु की पत्नी के रूप में पूजा जाता है। इसका महत्व ग्रंथों में विशेष रूप से दर्शाया गया है। भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी का प्रयोग अत्यंत शुभ माना जाता है और उसे “वृन्दा” भी कहा जाता है। Tulsi Vivah के अवसर पर भक्त तुलसी के पौराणिक विवाह की कथा का पाठ करते हैं और उसकी पूजा करते हैं।

तुलसी विवाह की कथा
कथा के अनुसार, एक समय की बात है जब भूलोक पर असुरों का अत्यंत प्रभावशाली राजा जलंधर अपनी अद्भुत तपस्या के बल पर अमर हो गया था। उसने अपनी अमृतप्राप्ति के बाद सभी दिशाओं पर अत्यंत अत्याचारी रूप में व्याप्ति कर ली थी। देवताओं ने इस स्थिति का समाधान निकालने के लिए भगवान विष्णु से सहायता मांगी। भगवान विष्णु ने इस समस्या का समाधान निकाला और उन्होंने जलंधर की पत्नी वृन्दा के साथ विवाह करने का निर्णय किया। वृन्दा ने भगवान विष्णु की पूजा में अत्यंत समर्थता और श्रद्धा भाव से साधना किया था।
उसका विशेष ध्यान भगवान की पूजा में लगा रहने के कारण वह अपने पति के साथ स्वर्गीय लोकों में बसीं रहीं। तुलसी विवाह में भक्तों का यह मानना है कि वह भगवान विष्णु की पत्नी के रूप में तुलसी को पूजकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और इससे उनके जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। तुलसी विवाह का आयोजन विशेष रूप से हिन्दू घरों में होता है। इस दिन, लोग तुलसी के पौधों की सजाकर उन्हें भगवान विष्णु के साथ विवाह के लिए तैयार करते हैं। विवाह के बाद, तुलसी की मूर्ति की पूजा करते हैं और उसे विशेष भोग चढ़ाते हैं।

Tulsi Vivah पर करें तुलसी मैया की आरती
जय जय तुलसी माता
सब जग की सुख दाता, वर दाता
जय जय तुलसी माता ।।
सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपर
रुज से रक्षा करके भव त्राता
जय जय तुलसी माता।।
बटु पुत्री हे श्यामा, सुर बल्ली हे ग्राम्या
विष्णु प्रिये जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता
जय जय तुलसी माता ।।
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वन्दित
पतित जनो की तारिणी विख्याता
जय जय तुलसी माता ।।
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में
मानवलोक तुम्ही से सुख संपति पाता
जय जय तुलसी माता ।।
हरि को तुम अति प्यारी, श्यामवरण तुम्हारी
प्रेम अजब हैं उनका तुमसे कैसा नाता
जय जय तुलसी माता ।।

Tulsi Vivah पर भरेंगे धन के भंडार
इस दिन, विशेष रूप से तुलसी के पत्तों की माला बनाई जाती है, जिसे भक्त धारण करते हैं और भगवान की पूजा में लगाते हैं।तुलसी विवाह भारतीय समाज में भक्ति और सांस्कृतिक धारा का एक अनूठा पर्व है, जो भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में अग्रसर करता है। इस अद्वितीय पर्व के माध्यम से हम यह सीखते हैं कि भगवान के साथ समर्पण और प्रेम से ही सच्चा सुख-शांति प्राप्त हो सकता है।
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