राखी रक्षाबंधन के तोहफे के लिए सरकार लेगी भारी कर्ज
राखी मध्यप्रदेश की सरकार ने ‘लाड़ली बहना योजना’ के तहत रक्षाबंधन के पावन पर्व पर बहनों को अतिरिक्त ₹250 देने का ऐलान किया है। लेकिन इस ऐलान को पूरा करने के लिए राज्य सरकार को एक बार फिर भारी कर्ज का सहारा लेना पड़ रहा है। खबरों के अनुसार, सरकार ₹4300 करोड़ का नया कर्ज लेने जा रही है, जिससे इस योजना को रक्षाबंधन से पहले लागू किया जा सके।
क्या है मामला?
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पहले ही घोषणा की थी कि इस बार 9 अगस्त को रक्षाबंधन पर लाड़ली बहनों को अतिरिक्त ₹250 दिए जाएंगे। यह राशि पहले से दी जा रही ₹1250 के अलावा होगी। यानी रक्षाबंधन के महीने में बहनों के खाते में ₹1500 जमा किए जाएंगे।
लेकिन इस फैसले को अमल में लाने के लिए सरकार को पैसों की आवश्यकता है। इसके चलते 30 जुलाई को मध्यप्रदेश सरकार भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के माध्यम से ₹4300 करोड़ का कर्ज लेने वाली है।

पहले भी लिया गया है कर्ज
यह पहला मौका नहीं है जब लाड़ली बहना योजना के लिए सरकार को कर्ज लेना पड़ रहा है। इससे पहले भी जुलाई के महीने की शुरुआत में सरकार ₹1000 करोड़ का कर्ज ले चुकी है। अब दूसरी बार कर्ज की यह बड़ी राशि योजना की निरंतरता और बहनों को समय पर पैसा पहुंचाने के लिए ली जा रही है।
लाभार्थी कौन हैं?
मध्यप्रदेश में ‘लाड़ली बहना योजना’ के अंतर्गत राज्य की 1.31 करोड़ महिलाएं रजिस्टर्ड हैं। इन्हीं महिलाओं को हर महीने सरकार ₹1250 की आर्थिक सहायता देती है। रक्षाबंधन जैसे विशेष अवसरों पर अतिरिक्त राशि का ऐलान राज्य सरकार की तरफ से किया गया है। इस योजना से राज्य की बड़ी संख्या में गरीब, मध्यमवर्गीय और ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं जुड़ी हैं।
योजना का उद्देश्य
मुख्यमंत्री मोहन यादव के अनुसार, इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है। उनके आत्मनिर्भर बनने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। लाड़ली बहना योजना से न केवल महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार आ रहा है, बल्कि उन्हें घर-परिवार में भी सम्मान और निर्णय लेने की स्वतंत्रता मिल रही है।
राजनीतिक मायने भी हैं
विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना राजनीतिक दृष्टि से भी अहम है। महिलाओं का वोट बैंक किसी भी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाता है। ऐसे में सरकार महिलाओं को ध्यान में रखकर इस योजना को लगातार बढ़ावा दे रही है। रक्षाबंधन जैसे भावनात्मक त्योहार पर अतिरिक्त राशि देकर सरकार महिलाओं से जुड़ाव मजबूत करना चाहती है।
कर्ज को लेकर क्या कहते हैं जानकार?
आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक, बार-बार कर्ज लेना राज्य की वित्तीय स्थिति पर असर डाल सकता है। पहले ही मध्यप्रदेश का सार्वजनिक कर्ज लाखों करोड़ तक पहुंच चुका है। ऐसे में हर महीने इस तरह की योजनाओं के लिए कर्ज लेना भविष्य में राज्य के बजट पर दबाव डाल सकता है।
हालांकि सरकार का पक्ष है कि यह कर्ज जनता की भलाई के लिए लिया जा रहा है और राज्य की विकास योजनाओं पर इसका कोई असर नहीं होगा।
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कर्ज कैसे लिया जाता है?
जब राज्य सरकार को पैसों की जरूरत होती है, तो वह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के जरिए बांड्स जारी करके कर्ज लेती है। ये बांड्स बाजार में निवेशकों को बेचे जाते हैं और सरकार इसके बदले ब्याज चुकाने का वादा करती है। 30 जुलाई को सरकार ₹4300 करोड़ के ऐसे ही बांड्स जारी करने वाली है।
लाड़ली बहना योजना का अब तक का असर
इस योजना के लागू होने के बाद से ग्रामीण इलाकों में महिलाओं की आर्थिक स्थिति में थोड़ा सुधार देखा गया है। कई महिलाएं इस राशि से घरेलू खर्च में सहयोग कर रही हैं, तो कुछ ने छोटे व्यवसाय भी शुरू किए हैं।
सरकार का दावा है कि लाड़ली बहना योजना ने महिलाओं के आत्मविश्वास को बढ़ाया है और अब वे सामाजिक फैसलों में भी आगे आ रही हैं।
लाड़ली बहना योजना: प्रमुख तथ्य एक नजर में
बिंदु | विवरण |
---|---|
योजना का नाम | लाड़ली बहना योजना |
लाभार्थी | 1.31 करोड़ महिलाएं (मध्यप्रदेश) |
मासिक सहायता | ₹1250 प्रति माह |
विशेष अवसर राशि | रक्षाबंधन पर ₹250 अतिरिक्त |
कुल राशि अगस्त में | ₹1500 प्रति लाभार्थी |
सरकार द्वारा लिया गया कर्ज | ₹4300 करोड़ (30 जुलाई को प्रस्तावित) |
पहले लिया गया कर्ज | ₹1000 करोड़ (जुलाई की शुरुआत में) |

आगे क्या?
अब देखना यह होगा कि 30 जुलाई को सरकार यह कर्ज कितनी सहजता से ले पाती है और क्या सभी बहनों के खाते में 9 अगस्त तक ₹1500 पहुंच पाते हैं या नहीं। हालांकि सरकार ने तैयारी पूरी कर ली है, लेकिन जनता की नजरें इस योजना के क्रियान्वयन पर टिकी हैं।
निष्कर्ष:
मध्यप्रदेश सरकार की यह पहल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। रक्षाबंधन जैसे पावन पर्व पर यह अतिरिक्त सहयोग निश्चित रूप से बहनों के चेहरे पर मुस्कान लाएगा। लेकिन वित्तीय स्थिति को संतुलित रखना भी उतना ही जरूरी है। ऐसे में इस योजना के दीर्घकालिक असर और आर्थिक पक्ष दोनों पर ध्यान देना समय की मांग है।