पीएम-प्रणाम योजना: रासायनिक उर्वरकों की खपत में कमी

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केंद्र सरकार की पीएम-प्रणाम योजना (PM-PRANAM SCHEME) के तहत 14 राज्यों में पिछले तीन वित्तीय वर्षों की औसत खपत की तुलना में, वित्तीय वर्ष 2023-24 में रासायनिक उर्वरकों की खपत में 15.14 लाख मीट्रिक टन की कमी दर्ज की गई है। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने यह जानकारी शुक्रवार को लोकसभा में साझा की। यह योजना मिट्टी की सेहत में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है, खासकर जब इसकी सबसे ज्यादा आवश्यकता है।

पीएम-प्रणाम योजना का उद्देश्य

प्रधानमंत्री कार्यक्रम (PM-PRANAM) का मुख्य उद्देश्य भूमि के स्वास्थ्य में सुधार लाना तथा इसके साथ जुड़ी जागरूकता, पोषण और सुधार को बढ़ावा देना है। इस कार्यक्रम को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) द्वारा 28 जून 2023 को स्वीकृति दी गई थी।

योजना का कार्यान्वयन

यह योजना मिट्टी के पोषण और गुणवत्ता में सुधार के लिए आवश्यक जागरूकता का प्रसार करने, और उर्वरकों के सतत एवं संतुलित उपयोग को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है। पीएम-प्रणाम योजना का एक अन्य महत्वपूर्ण लक्ष्य जैविक खेती को बढ़ावा देने और वैकल्पिक उर्वरकों के उपयोग को प्रोत्साहित करना भी है, ताकि भूमि के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके।

शामिल राज्य और केंद्र शासित प्रदेश

पीएम-प्रणाम योजना का उद्देश्य मिट्टी के स्वास्थ्य के संरक्षण के लिए तकनीकों के कार्यान्वयन के माध्यम से सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की पहलों का समर्थन करना है। रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के अनुसार, सभी राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश इस योजना के अंतर्गत आते हैं।

योजना का प्रभाव

इस योजना के अंतर्गत, पिछले तीन वर्षों में रासायनिक उर्वरकों (जैसे यूरिया, डीएपी, एनपीके, एमओपी) की औसत खपत में कमी लाने वाले राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को प्रोत्साहन देने का प्रावधान है। यह प्रोत्साहन बचाई गई उर्वरक सब्सिडी के 50 प्रतिशत के बराबर होगा।

इस प्रकार, पीएम-प्रणाम योजना न केवल मिट्टी के स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक है, बल्कि यह उत्साह बढ़ाने वाली पहल भी है जो कृषि क्षेत्र को स्थायी एवं संतुलित बनाने में मदद करती है।

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