PF घोटाला: डेल्टा लिमिटेड ने 800 कर्मचारियों के भविष्य से किया धोखा, ₹15.47 करोड़ की ठगी का खुलासा ed ka

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PF घोटाला: डेल्टा लिमिटेड ने 800 कर्मचारियों के भविष्य से किया धोखा, ₹15.47 करोड़ की ठगी का खुलासा ed ka
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कर्मचारियों की मेहनत की कमाई से जुड़ा एक बड़ा घोटाला सामने आया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की गहन जांच में यह खुलासा हुआ है कि मेसर्स डेल्टा लिमिटेड और इसकी सहयोगी कंपनियों ने लगभग 800 कर्मचारियों के प्रोविडेंट फंड (PF) का दुरुपयोग किया। कर्मचारियों की सैलरी से PF की कटौती तो की गई लेकिन वह न तो ट्रस्ट में जमा हुई और न ही EPFO के पास पहुँची। यह मामला एक सुनियोजित वित्तीय धोखाधड़ी का प्रतीक बन चुका है।

PF घोटाला: डेल्टा लिमिटेड ने 800 कर्मचारियों के भविष्य से किया धोखा, ₹15.47 करोड़ की ठगी का खुलासा ed ka

🏢 कैसे सामने आया यह मामला?

कोलकाता उच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के आधार पर हरे स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले की जांच शुरू की। जांच के दौरान पता चला कि डेल्टा लिमिटेड द्वारा लंबे समय तक कर्मचारियों के PF की कटौती की जाती रही, लेकिन वह संबंधित ट्रस्ट या PF प्राधिकरण के पास जमा नहीं की गई।

यह घोटाला डेल्टा जूट एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड वर्कर्स प्रोविडेंट फंड ट्रस्ट के माध्यम से अंजाम दिया गया। PF ट्रस्ट का उद्देश्य कर्मचारियों की जमा राशि को सुरक्षित निवेश के ज़रिए बढ़ाना था, लेकिन इस उद्देश्य को ताक पर रखकर, ट्रस्ट का दुरुपयोग किया गया।


🧾 क्या था घोटाले का तरीका?

ED की रिपोर्ट के अनुसार, डेल्टा लिमिटेड को PF राशि के लिए एक निजी ट्रस्ट संचालित करने की विशेष छूट प्राप्त थी। इस ट्रस्ट को स्वतंत्र रूप से कर्मचारियों के हित में कार्य करना था। लेकिन इसके विपरीत, ट्रस्टी के रूप में ट्रेंड प्रोफेशनल्स की जगह कंपनी के कर्मचारी ही नियुक्त कर दिए गए, जो सिर्फ मैनेजमेंट के निर्देशों का पालन करते थे। इनकी कोई स्वतंत्र भूमिका नहीं थी।

2014 में यह छूट रद्द कर दी गई थी, लेकिन कंपनी इसके बाद भी कर्मचारियों की सैलरी से PF काटती रही और उसे न ही ट्रस्ट में और न ही EPFO को सौंपा गया। यह एक गंभीर कानूनी उल्लंघन है।

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🏛️ ED ने क्या कार्रवाई की?

ED ने 23 जुलाई 2025 को धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत कार्रवाई करते हुए डेल्टा लिमिटेड और उससे जुड़ी संस्थाओं की ₹15.47 करोड़ की अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क कर लिया। इसके साथ ही 24 जुलाई को एलडी स्पेशल कोर्ट, कोलकाता में डेल्टा लिमिटेड और अन्य 7 लोगों के खिलाफ अंतिम अभियोजन शिकायत दायर की गई।


📉 PF की जगह कहाँ गया पैसा?

ED की जांच में यह भी सामने आया कि कर्मचारियों से काटे गए PF की राशि को व्यावसायिक खर्चों, उधार चुकाने और संपत्ति खरीदने जैसे गैर-मान्य कामों में लगाया गया। यह सारी राशि सुनियोजित तरीके से गबन की गई, जिससे कुल अपराध की आय ₹15.47 करोड़ रही।


📚 क्या कहता है कानून?

EPF अधिनियम के अंतर्गत यह आवश्यक है कि कर्मचारियों के PF योगदान को निर्धारित समय सीमा के भीतर EPFO या मान्य ट्रस्ट में जमा किया जाए। ऐसा न करने पर यह धोखाधड़ी, विश्वासघात और आपराधिक साजिश के तहत अपराध माना जाता है। इस केस में डेल्टा लिमिटेड पर इन सभी धाराओं में केस दर्ज किया गया है।


⚖️ कर्मचारियों की पीड़ा

800 से अधिक कर्मचारियों के लिए यह मामला केवल एक कानूनी लड़ाई नहीं है, बल्कि उनकी वित्तीय सुरक्षा और भविष्य की बुनियाद से जुड़ा हुआ है। वर्षों की मेहनत से जो PF जमा होना था, वह नदारद है। रिटायरमेंट की योजना और आर्थिक आत्मनिर्भरता पर गंभीर असर पड़ा है।


📰 ED की फाइनल रिपोर्ट में क्या-क्या?

  • 15.47 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति की कुर्की
  • ट्रस्ट के नाम पर PF राशि को गबन करने का आरोप
  • ट्रस्टी के रूप में गलत लोगों की नियुक्ति
  • अदालत में अंतिम अभियोजन शिकायत दायर
  • पीएफ अधिनियम और धनशोधन कानून के तहत कार्यवाही

💡 इस मामले से क्या सीखें?

  1. कर्मचारी सतर्क रहें: अपनी सैलरी स्लिप की PF कटौती और EPFO पोर्टल पर अपडेट को समय-समय पर चेक करें।
  2. कंपनियों पर निगरानी: पीएफ ट्रस्ट संचालित करने वाली संस्थाओं की नियमित ऑडिट और पारदर्शिता जरूरी है।
  3. सरकार को कड़े नियम लागू करने चाहिए: इस तरह के घोटाले दोबारा न हो, इसके लिए सख्त निगरानी और सजा का प्रावधान जरूरी है।
PF घोटाला: डेल्टा लिमिटेड ने 800 कर्मचारियों के भविष्य से किया धोखा, ₹15.47 करोड़ की ठगी का खुलासा ed ka

PF घोटाला

डेल्टा लिमिटेड द्वारा किया गया यह PF घोटाला ना सिर्फ एक आर्थिक अपराध है, बल्कि यह कर्मचारियों के विश्वास का घोर उल्लंघन भी है। भविष्य निधि जैसी योजना जिसमें एक आम आदमी अपने जीवन की पूंजी देखता है, उसका इस तरह से शोषण होना समाज के लिए एक चिंताजनक संदेश है।

इस केस से यह स्पष्ट होता है कि कानून का डर और निगरानी की कमी ऐसी कंपनियों को मनमानी की छूट देती है। अब देखना यह होगा कि अदालत इस मामले में कितनी सख्ती से न्याय करती है और कर्मचारियों को कब उनका हक वापस मिलेगा।

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