Navratri Day 5: नवरात्रि के पांचवे दिन क्यों होती मां स्कंदमाता की पूजा ?

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Navratri Day 5: नवरात्रि के पांचवे दिन क्यों होती मां स्कंदमाता की पूजा ?
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Navratri Day 5: नवरात्रि का पांचवा दिन, यानी माँ स्कंदमाता का पूजा दिन होता है। यह पांचवा दिन(Navratri Day 5) हिन्दू धर्म के अनुसार माँ दुर्गा के नौ रूपों के पूजन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। नवरात्रि का यह दिन माँ स्कंदमाता के समर्पण और पूजन के रूप में विशेष महत्व रखता है, और भक्त इस दिन को अपने जीवन में धार्मिकता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हैं।

Navratri Day 5 को माँ स्कंदमाता का महत्व होता है

माँ स्कंदमाता का नाम वे इसलिए प्राप्त करती हैं क्योंकि वे भगवान स्कंद, यानी कार्तिकेय, की माँ हैं। इस दिन(Navratri Day 5) की पूजा से व्यक्ति अपने जीवन में ज्ञान और शक्ति की प्राप्ति करते हैं, और वे समस्त दुखों और कष्टों से मुक्ति प्राप्त करते हैं। माँ स्कंदमाता की पूजा से मानव जीवन में ज्ञान की प्राप्ति होती है जो हमें सही मार्ग पर चलने में मदद करता है।

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Navratri Day 5: नवरात्रि के पांचवे दिन क्यों होती मां स्कंदमाता की पूजा ?

पूजा का त्योहारी रूप

नवरात्रि के पांचवे दिन(Navratri Day 5) को विशेष तरीके से मनाया जाता है। लोग माँ स्कंदमाता की मूर्ति को सजाकर उसकी पूजा करते हैं। इस दिन को खास धार्मिक रियलिटी और भक्ति भाव में गुजारते हैं।

पूजा की विधि

Navratri Day 5 माँ स्कंदमाता की पूजा करने के लिए निम्नलिखित विधि का पालन किया जाता है:

  1. पूजा के लिए स्थान का तैयारी: अपने घर के किसी शुभ स्थान पर माँ स्कंदमाता की मूर्ति को सजाकर रखें।
  2. धूप और दीपक का प्रयोग: पूजा के समय, धूप और दीपक का प्रयोग करें। इसके साथ ही माँ के रूप को तुलसी पत्तियों से सजाकर पूजें।
  3. मंत्र का उच्चारण: माँ स्कंदमाता के मंत्र का उच्चारण करें – “ॐ देवी स्कंदमात्रै नमः”।
  4. भोग प्रसाद: माँ को प्रसाद के रूप में फल, मिठाई, और खीर की प्रसादित करें और फिर इसे विशेष भक्तों को बांटें।
  5. आरती: अखंड आरती गाने से माँ की कृपा प्राप्त होती है और वह अपने भक्तों पर आशीर्वाद बरसाती हैं।
Navratri Day 5: नवरात्रि के पांचवे दिन क्यों होती मां स्कंदमाता की पूजा ?

धार्मिक महत्व के साथ सामाजिक संदेश

नवरात्रि का पांचवा दिन(Navratri Day 5) हमें धार्मिकता के साथ-साथ समाजिक जागरूकता भी प्रदान करता है। इस दिन को माँ स्कंदमाता के द्वारा अपने सपूत कार्तिकेय की पूजा के रूप में मनाने का भी महत्व होता है, जिससे हमें परिवार और समाज के सदस्यों के साथ एक मजबूत जुड़ाव बनाने का अवसर मिलता है।

नवरात्रि के इस पांचवे दिन (Navratri Day 5)का महत्वपूर्ण हिस्सा है, और यह हमें माँ दुर्गा के आशीर्वाद को प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन की पूजा के माध्यम से हम अपने जीवन को धर्म, शक्ति, और ज्ञान से परिपूर्ण बना सकते हैं। नवरात्रि के इस पांचवे दिन(Navratri Day 5) को सबके साथ मिलकर मनाने से हमारा समाज और सभी लोग साथ में सांझा करते हैं और एक एकजुट होते हैं।

इस नवरात्रि के पांचवे दिन (Navratri Day 5)को विशेष भक्ति और समर्पण के साथ मनाएं और माँ स्कंदमाता से आशीर्वाद प्राप्त करें। यह दिन हमें आत्मा की शांति और भगवान के साथ अध्यात्मिक जुड़ाव की दिशा में एक कदम आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है।

परिपूर्णता की ओर एक कदम

नवरात्रि का पांचवा दिन(Navratri Day 5) , जिसे माँ स्कंदमाता का दिन कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण उपलक्ष्य के साथ आता है – परिपूर्णता की ओर एक कदम बढ़ाना। माँ स्कंदमाता की भक्ति के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि आत्मा को परिपूर्ण बनाने के लिए हमें अपनी आत्मा के गहरे अंदर की ओर जाना होता है।

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ज्ञान और शक्ति की प्राप्ति

माँ स्कंदमाता की पूजा से हमें ज्ञान और शक्ति की प्राप्ति होती है। ज्ञान की प्राप्ति हमें गलत और सही के बीच अंतर समझने में मदद करती है और शक्ति हमें जीवन के सभी कठिनाइयों को पार करने में सहायक होती है।

सामाजिक संदेश

नवरात्रि के पांचवे दिन(Navratri Day 5) का महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं होता है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश भी प्रदान करता है। इसे एक अवसर मानकर हम सभी लोग एक साथ आते हैं और एक साथ पूजा करते हैं, जिससे सामाजिक सौहार्द और एकता की भावना प्रबल होती है।

सम्पूर्णता की ओर प्रेरणा

नवरात्रि का पांचवा दिन(Navratri Day 5) , माँ स्कंदमाता की पूजा के माध्यम से हमें यह भी सिखाता है कि हमारे जीवन के हर क्षण को सम्पूर्णता की ओर ले जाने की आवश्यकता है। हमें अपने कार्यों में सजीव भावना और समर्पण के साथ काम करना चाहिए। यह हमें स्वयं को समृद्धि, सफलता, और खुशी की ओर एक कदम बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

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समापन

नवरात्रि का पांचवा दिन(Navratri Day 5) एक महत्वपूर्ण और पवित्र दिन होता है जो हमें माँ स्कंदमाता की शक्ति, ज्ञान, और समर्पण का सन्देश देता है। इस दिन को पूरे श्रद्धा भाव से मनाकर हम अपने जीवन को सफलता और सुख की ओर अग्रसर कर सकते हैं। इसके साथ ही, यह हमारे समाज को भी एक जागरूक और एकता भाव से भर देता है, और हम सभी एक साथ आते हैं और माँ स्कंदमाता के आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं।

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