National Unity Day 2023 History: राष्ट्रीय एकता दिवस पर जानिए सरदार पटेल को ‘लौह पुरुष’ क्यों कहते है? लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को हुआ था, और इसी दिन भारत सरकार ने उनकी जयंती के रूप में हर वर्ष 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाने की घोषणा की थी। सरदार वल्लभ भाई पटेल, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धा और एक महत्वपूर्ण राजनेता थे। उन्होंने भारतीय समृद्धि और स्वतंत्रता के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। वल्लभ भाई पटेल को ‘लौह पुरुष’ कहा जाता है क्योंकि सरदार पटेल ने भारतीय साम्राज्य के विभिन्न राज्यों को एक साथ जोड़कर भारतीय संघ की नींव रखी थी।
सरदार वल्लभ भाई पटेल का जीवन
वल्लभ भाई पटेल का जीवन एक अद्वितीय यात्रा था, उन्होंने गुजरात के छोटे से गांव से अपने प्रारंभिक जीवन की शुरुआत की, लेकिन उनकी मेहनत, संघर्ष और समर्पण ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण नेता बना दिया। सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाद जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गुजरात में पूरी की और फिर इंग्लैंड गए जहां से वे वकील बने। उन्होंने वकील के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने के बाद गांधीजी के साथ जुड़े और स्वतंत्रता संग्राम के नेता बन गए।
यह भी पढ़े :- Amit Shah: अमित शाह के जन्मदिन पर जानिए उन्हें क्यों कहा जाता है राजनीति का ‘चाणक्य’
National Unity Day 2023
भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अंग्रेजों द्वारा टुकड़ों टुकड़ों में बांटे गए भारत को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपने अथक प्रयासों से एक जुट किया। आज हम भारत का जो स्वरुप देखते है वो सरदार पटेल की ही देन है। अखंड भारत का सपना सरदार वल्लभ भाई पटेल ने ही देखा था। सरदार पटेल ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विभाजन को रोकने के लिए बड़े प्रयास किए। उन्होंने भारतीय राज्यों को एक साथ मिलाने का सपना देखा और उन्होंने इस सपने को हाकिकत में बदल दिया। वे सत्याग्रह और सात्याग्रह सभा के सदस्य थे और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे।
क्यों कहा जाता है ‘लौह पुरुष’ ?
सरदार पटेल को ‘भारतीय संघ के लौह पुरुष’ कहा जाता है क्योंकि उन्होंने भारतीय संघ की नींव रखी थी। उन्होंने विभिन्न राज्यों को एक साथ मिलाने के लिए कई प्रमुख कदम उठाए। 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ, लेकिन राज्यों के बीच कई समस्याएं थी। सरदार पटेल ने इन समस्याओं का समाधान ढूंढने के लिए कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और राजा-महाराजों के साथ चर्चा की और उन्हें एक साथ आने के लिए प्रोत्साहित किया। इस प्रक्रिया को ‘सम्प्रेषण’ कहा जाता है और इसके परिणामस्वरूप भारतीय संघ बना।
#WATCH | Home Minister @AmitShah participates in the 'Run for Unity' on the occasion of Rashtriya Ekta Diwas (National Unity Day) in Dhyan Chand National Stadium, New Delhi.@HMOIndia #NationalUnityDay pic.twitter.com/jVPAiNFP1c
— DD News (@DDNewslive) October 31, 2023
कब हुई National Unity Day की शुरुआत ?
2014 में, भारत सरकार ने सरदार वल्लभभाई पटेल की याद में और उनके मान सम्मान में आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) की शुरुआत की थी। पटेल, जो एक सुदृढ़ भारत के समर्थक थे, उनके महत्वपूर्ण योगदान का सम्मान करने के लिए इस कदम को उठाया गया था। उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) के रूप में मनाने का निर्णय उनके महत्वपूर्ण कार्यों की महत्वपूर्णता को दर्शाता है।
सरदार पटेल ने रखी भारतीय संघ की नींव
सरदार पटेल की एक महत्वपूर्ण भूमिका थी जनसंख्या संघटन में। उन्होंने भारतीय भूखंड को एक साथ लाने के लिए कई रिया और अनुष्ठान आयोजित किए और भूखंड को एक साथ लाने का कार्य सफलता से पूरा किया। उन्होंने भारतीय समृद्धि के लिए जनसंख्या संघटन की आवश्यकता को समझा और इस पर काम किया। उन्होंने लोगों को जागरूक किया और उन्हें परिवार नियोजन के महत्व के बारे में शिक्षा दी। इसीलिए उनकी याद में National Unity Day मानते है।
दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
2018 में, 143वीं जयंती के अवसर पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में एक शानदार स्थल पर खड़ा होकर सरदार वल्लभभाई पटेल के समर्पण को याद किया और उनकी याद में भव्य स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का उद्घाटन किया। पटेल के प्रसिद्ध नारे “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” आज भी देश को प्रेरित करते हैं और उनके आदर्शों को निभाने का संकल्प नवजवानों में बना हुआ है। इस महत्वपूर्ण समय पर, हम सभी को यह याद दिलाना चाहिए कि हमारा देश विविधता में एकता का प्रतीक है और हमें इस एकता को साजीव रूप से बनाए रखने का काम करना है।
सरदार पटेल की मृत्यु और उनकी आदर्श जीवन
National Unity Day सरदार पटेल की मृत्यु 15 दिसम्बर 1950 को हुई और उनके जीवन के अंतिम समय में उन्होंने भारतीय समाज के लिए एक आदर्श जीवन जीने की मिसाल पेश की। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के पश्चात् भारतीय समाज की सेवा करने का संकल्प लिया और अपने आदर्शों के साथ भारतीय समाज को मोहित किया। आज हम National Unity Day मना रहे है।