Narayana Murthy: 12 घंटे की शिफ्ट, हफ्ते में 70 घंटे काम! नारायण मूर्ति के आइडिया पर छिड़ी बहस

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Narayana Murthy: 12 घंटे की शिफ्ट, हफ्ते में 70 घंटे काम! नारायण मूर्ति के आइडिया पर छिड़ी बहस
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Narayana Murthy: 12 घंटे की शिफ्ट, हफ्ते में 70 घंटे काम! नारायण मूर्ति के आइडिया पर छिड़ी बहस इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति: देश के युवाओं के लिए अद्वितीय सलाह” एनआर नारायण मूर्ति, जिन्होंने भारत के प्रमुख और प्रसिद्ध IT कंपनी, इंफोसिस की स्थापना की, ने हाल ही में एक बड़े विवादित बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि देश के युवाओं को हर सप्ताह 70 घंटे काम करना चाहिए। इस बयान ने सोशल मीडिया पर एक तरह की चर्चा की है और लोगों में विभिन्न रायें व्यक्त की हैं। नारायण मूर्ति का कहना है कि इस समय भारत में कार्य उत्पादकता को बढ़ाने की जरूरत है और युवाओं को अधिक मेहनत करने की आवश्यकता है।

Narayana Murthy: उनका मानना है कि युवा पीढ़ी को अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए ज्यादा प्रतिबद्ध होना चाहिए और अधिक काम करना चाहिए। नई दिल्ली: आज के समय में, जब भारत एक विश्व शक्ति के रूप में उभर रहा है, वहाँ के उद्यमियों और विचारकों के बयान भारतीय युवा पीढ़ियों के लिए महत्वपूर्ण हैं। इंफोसिस के को-फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति का एक बयान इसी धारा में है, जिसने एक नई दिशा की ओर हमारे युवाओं को देखने के लिए हमारे सोच को प्रेरित किया है।

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Narayana Murthy: 12 घंटे की शिफ्ट, हफ्ते में 70 घंटे काम! नारायण मूर्ति के आइडिया पर छिड़ी बहस

Narayana Murthy: विश्व में एक महत्वपूर्ण भूमिका देने में मदद करेगा।

मूर्ति जी ने व्यक्त किया कि भारत की कार्य उत्पादकता दुनिया के मुकाबले बहुत कम है। उन्होंने (Narayana Murthy) कहा कि हमें इसे बढ़ाने की जरूरत है। वे इसे भारत की उत्थान और समृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानते हैं। उन्होंने (Narayana Murthy) अपने विचारों को देने के दौरान इस तथ्य को उठाया कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, जापान और जर्मनी ने अपनी उत्पादकता को बढ़ाने के लिए 70 घंटे काम किया था। इससे स्पष्ट होता है कि यह एक ऐतिहासिक उदाहरण हो सकता है जिसे हमें अपनाना चाहिए।

  • नारायण मूर्ति ने कहा युवा हर सप्ताह 70 घंटे करें काम
  • भारत की कार्य उत्पादकता बढ़ाने की है जरूरत
  • चीन जैसे देशेां के साथ प्रतिस्पर्धा के लिए ज्यादा काम की जरूरत

मूर्ति (Narayana Murthy) जी का यह विचार युवाओं के लिए महत्वपूर्ण संदेश है। वे कहते हैं कि भारत के युवाओं को अपनी कार्य उत्पादकता को बढ़ाने के लिए 70 घंटे काम करना चाहिए। यह सिर्फ एक विचार नहीं है, बल्कि एक पुरानी भूली हुई समीक्षा भी हो सकती है, जो हमें अपनी साक्षरता की ओर बढ़ने के लिए मदद कर सकती है। मूर्ति (Narayana Murthy) जी के विचारों के पीछे का संदेश यह है कि हमें अपने काम में पूरी संविदान और समर्पण के साथ काम करना होगा। यह हमारी उत्पादकता को बढ़ाने में मदद करेगा और भारत को एक विकेन्द्रीकृत विश्व में एक महत्वपूर्ण भूमिका देने में मदद करेगा।

नीति, काम, और समाज में एक नगरपालिका के मुख्य अधिकारी, एनआर नारायण मूर्ति(Narayana Murthy) , के काम की बहस ने सोशल मीडिया पर एक महत्वपूर्ण चर्चा को जीवंत किया है। मूर्ति जी ने अपनी सप्ताह में लगभग 70 घंटे काम किए हैं, और इस पर विभिन्न प्रतिक्रियाएँ आई हैं। इस बात पर एक उपयोगकर्ता ने ट्वीट किया, “मैं इससे सहमत हूं, अपने नियोक्ता के लिए 40 घंटे और अपने हितों के लिए 30 घंटे काम करें।” यह ट्वीट उसके मनोबल को दर्शाता है, क्योंकि वह मूर्ति जी के संघर्ष को समझता है, और उनके योगदान की प्रशंसा करता है। हालांकि, दूसरे एक उपयोगकर्ता ने इस पर विरोध किया, कहते हुए, “सप्ताह में 70 घंटे काम से वह पूरी तरह असहमत है।

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अपने संस्कृति और सोच को सुधारने की आवश्यकता है।

Narayana Murthy का मानना है कि हर सरकार लोगों की संस्कृति जितनी अच्छी होती है, उतना ही विकास और सामाजिक सुधार भी होता है। एक सशक्त समाज का निर्माण केवल एक सरकार की जिम्मेदारी नहीं होती, बल्कि हर नागरिक का योगदान भी आवश्यक होता है। ‘हमारी संस्कृति को अत्यधिक दृढ़, बेहद अनुशासित और बेहद कड़ी मेहनत करने वाले लोगों के रूप में बदलना होगा’ – यह एक ऐसा मान्यता है जिसे हमें अपनाना होगा, अगर हम विकास और प्रगति की ओर बढ़ना चाहते हैं।

सरकारें अपने नागरिकों के लिए न केवल सुख-संतोष बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, और आर्थिक सुरक्षा की गारंटी प्रदान करने की जिम्मेदारी उठाती हैं। लेकिन यह भी सत्य है कि हमारे नागरिक भी अपनी ओर से जिम्मेदारी निभाने में योगदान करने के बिना, समाज में सकारात्मक परिवर्तन नहीं ला सकते।

हमारे समाज के सभी वर्गों के लोगों को अपनी संस्कृति को सुरक्षित रखने और उसे बढ़ावा देने की दिशा में कड़ी मेहनत करनी होगी। यह मानवाधिकारों का पालन करते हुए होना चाहिए, और हमें सभी धर्मों और समुदायों के साथ एक साथ रहने की क्षमता को महत्वपूर्ण मानना होगा। एक सशक्त समाज का निर्माण केवल एक सरकार की जिम्मेदारी नहीं होता, बल्कि हर व्यक्ति की भी जिम्मेदारी होती है। हमें अपने व्यक्तिगत कार्यों में और समाज में उपयोगी बदलाव लाने के लिए अपने संस्कृति और सोच को सुधारने की आवश्यकता है।

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दिशा में कठिनाइयों को हटाने का काम करना चाहिए।

Narayana Murthy: इसके अलावा, सरकारों को अपने कार्य उत्पादकता में सुधार करने की भी आवश्यकता है। सुशासन और प्रबंधन में अधिक पारदर्शिता, निष्ठा, और सुविधाओं के वितरण में सुधार की आवश्यकता है। अब सवाल यह है कि हम कैसे इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं? पहली बात यह है कि हमें अपने व्यक्तिगत जीवन में नैतिकता और सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति सजग रहना होगा। हमें अपने कर्मों के परिणामों के लिए जिम्मेदार होना चाहिए और अपने कार्यों में सजग रहने का प्रयास करना चाहिए।

साथ ही, हमें स्वयं को सिखाने का आदर्पूर्ण दृष्टिकोण बनाना होगा। शिक्षा का महत्व निरंतर होता रहता है, और हमें अपनी शिक्षा को सशक्त बनाने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। अंत में, हमें समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए। सरकार को नागरिकों के अधिकारों का समर्थन करने और सामाजिक सुधार की दिशा में कठिनाइयों को हटाने का काम करना चाहिए।

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