Mokshada Ekadashi 2023: कल मोक्षदा एकादशी पर इस विधि से करें श्रीहरि और तुलसी का पूजन-व्रत, मिलेगा पितृदोष से छुटकारा

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Mokshada Ekadashi 2023: कल मोक्षदा एकादशी पर इस विधि से करें श्रीहरि और तुलसी का पूजन-व्रत, मिलेगा पितृदोष से छुटकारा
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Mokshada Ekadashi 2023: कल मोक्षदा एकादशी पर इस विधि से करें श्रीहरि और तुलसी का पूजन-व्रत, मिलेगा पितृदोष से छुटकारा। इस वर्ष की अंतिम एकादशी, यानी मोक्षदा एकादशी की तारीख के संबंध में, पंचांग के विभिन्नताओं के कारण कंफ्यूजन उत्पन्न हो गया है. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी शुक्रवार, 22 दिसंबर को सुबह 9.21 बजे से आरंभ होगी, और फिर 23 दिसंबर को सुबह 7.41 बजे पूर्ण होगी।

शास्त्रों के अनुसार, जब एकादशी तिथि दो दिनों के लिए बनी रहती है, तो इस परिस्थिति में गृहस्थ जीवन वालों को पहले दिन, यानी पहली तारीख को एकादशी व्रत रखना उचित है, जबकि दूसरी एकादशी (दूसरे दिन की एकादशी तिथि) वैष्णव संप्रदाय, साधुओं, और संतों के लिए आदर्श होती है. चलिए, हम जानते हैं कि 22 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी पर पूजा के लिए मुहूर्त, विधि, और उपाय क्या हैं।

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Mokshada Ekadashi 2023: कल मोक्षदा एकादशी पर इस विधि से करें श्रीहरि और तुलसी का पूजन-व्रत, मिलेगा पितृदोष से छुटकारा

Mokshada Ekadashi 2023शुभ मुहूर्त

विष्णु जी की पूजा का समयसुबह 08.27 – सुबह 11.02
अभिजित मुहूर्तसुबह 11.57 – दोपहर 12.44
सर्वार्थ सिद्धि योगसुबह 06:32 – रात 09:36
रवि योगसुबह 06:32 – रात 09:36
व्रत पारण समय23 दिसंबर 2023, दोपहर 01.22 – दोपहर 03.25

Mokshada Ekadashi 2023 पूजा विधि

मोक्षदा एकादशी के दिन, श्राद्धा भाव से नहाने के बाद घर में बाल गोपाल की पूजा करें, क्योंकि इस दिन श्रीकृष्ण ने भगवद गीता का उपदेश दिया था। बाल गोपाल को जल, दूध, और फिर जल से स्नान कराएं। हार-फूल और वस्त्रों से सजाकर, गोपी चंदन से तिलक लगाएं। पूजा के दौरान “कृं कृष्णाय नम:” मंत्र का जप करें। माखन-मिश्रित भोग को तुलसी के साथ बाल गोपाल के सामने रखें और इसी के साथ भगवद गीता की भी पूजा करें। एकादशी पर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से घर में लक्ष्मी जी का आशीर्वाद बना रहता है।

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Mokshada Ekadashi 2023 मंत्र

आरती के बाद प्रसाद बांटें और रात्रि जागरण के दौरान भगवद गीता का पाठ करें। किसी गोशाला में गायों की देखभाल के लिए धन दान करें और गायों को हरी घास खिलाएं। मंदिर में गीता ग्रंथ का भी दान कर सकते हैं। इस एकादशी व्रत का पालन करने वालों को जीवनभर पुण्य प्राप्त होता है, जिसका प्रभाव उनके जीवन में सदैव बना रहता है। मंत्र ऊँ श्री विश्वकर्मणे नम: ऊँ श्री कृष्णाय नम: ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नम: ऊँ श्री ईश्वराय नम: ऊँ श्री पद्मनाभाय नम: ऊँ श्री प्रजापतये नम: ऊँ श्री हृषीकेशाय नम:

“नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी 2024”

साल 2024 में, नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी के अनुसार, चीन में युद्ध से लेकर भारत में नई खोज तक कई महत्वपूर्ण घटनाएं हो सकती हैं। इसे समझने के लिए यह जरूरी है कि यह सूचना केवल मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है और किसी भी तरह की पुष्टि नहीं करती है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

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