Lunar eclipse time, Sharad Purnima: कब होगी शरद पूर्णिमा की पूजा, कब से लगेगा सूतक ? हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार शरद पूर्णिमा का महत्व अत्यंत विशेष है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी धरती पर आगमन करती हैं। यहां तक कि इस बार पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण के कारण पूर्णिमा के व्रत की मान्यता में कुछ संदेह आ रहा है। चलिए, हम पूर्णिमा व्रत की तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी को जान लें।
कब है Sharad Purnima ?
शरद पूर्णिमा (Lunar eclipse time) का महत्व धार्मिक ग्रंथों में अत्यधिक है, क्योंकि इस दिन माता लक्ष्मी का दर्शन होता है। इस दिन माता लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं। हालांकि, इस बार पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण हो रहा है, जिसके कारण लोगों के मन में शरद पूर्णिमा के व्रत का आयोजन 28 अक्टूबर या 29 अक्टूबर को करने के संबंध में संदेह है। इसलिए, इस दिन के लिए माता लक्ष्मी की पूजन का शुभ मुहूर्त भी सटीक रूप से निर्धारित करना महत्वपूर्ण है।
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Lunar eclipse time कब है ?
पंचांग के अनुसार, शरद पूर्णिमा (Lunar eclipse time) का प्रारंभ 28 अक्टूबर की सुबह 4 बजकर 18 मिनट पर हो रहा है और इसका समापन 29 अक्टूबर की रात 1 बजकर 54 मिनट पर होगा। इसके कारण, पूर्णिमा का व्रत 28 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा। इस दिन गजकेसरी योग, आदित्य मंगल योग, बुधादित्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, और अमृत सिद्धि योग भी बन रहे हैं।
पूर्णिमा को लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ मुहूर्त हैं
- शुभ चौघड़िया मुहूर्त: 28 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर 9 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
- उसके बाद लाभ चौघड़िया मुहूर्त: Sharad Purnima 28 अक्टूबर को 1 बजकर 28 मिनट से शुरू होकर 2 बजकर 52 मिनट तक रहेगा।
- फिर अमृत चौघड़िया मुहूर्त: Sharad Purnima और Lunar eclipse time व्रत के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 52 मिनट से शाम 4 बजकर 15 मिनट तक रहेगा।
शरद पूर्णिमा की पूजा विधि
इन सभी शुभ मुहूर्त में, धन और समृद्धि की कामना के साथ लक्ष्मी पूजा करना अशुभ होगा। जिन व्रती लोगों ने Sharad Purnima का उपवास रखा है, वे इस मुहूर्त में पूजा और आराधना कर सकते हैं। शरद पूर्णिमा के दिन, ब्रह्म मुहूर्त में उठें, और फिर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा और प्रणाम करें। इस दिन, यदि आप किसी नदी या झील में स्नान कर सकते हैं, तो यह बहुत शुभ होगा; अगर नहीं, तो आप घर पर ही गंगाजल से स्नान करें। पश्चिम दिशा में स्वच्छ वस्त्र पहनें। उसके बाद, सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत का निश्चित कारण घोषित करें। इस दौरान Lunar eclipse time का भी ध्यान रखें।
Sharad Purnima व्रत में इसका रखें ध्यान
इसके बाद, पूजा स्थल को पवित्र बनाकर पीले रंग के वस्त्र से सजाएं और उपर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की मूर्तियाँ रखें। उनका अभिषेक करें। इसके बाद, उन्हें वस्त्र आदि को अर्पित करें।माता लक्ष्मी को लाल रंग के फूलों से पूजें और भगवान विष्णु को पीले रंग के फूलों से आदर दें। पूजा के समय, विष्णु चालीसा का पाठ और मंत्र जपें। अंत में, आरती अर्चना करके पूजा समाप्त करें। पूर्णिमा समाप्त होने के बाद, अगले दिन अपनी आर्थिक सामर्थ्यानुसार दान करें।