Lal Krishna Advani Bharat Ratna: अटल जी के बाद भारत रत्न पाने वाले दूसरे भाजपाई बने लाल कृष्ण आडवाणी, जानिए आखिर क्यों BJP ने आडवाणी की जगह नरेंद्र मोदी को सौंपी देश की कमान। भाजपा के सबसे अगे रहने वाले नेता और देश के सातवें उप-प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर, 1927 को पाकिस्तान के कराची में हुआ था। वह एक हिंदू सिंधी परिवार से थे। आडवाणी ने 2002 से 2004 तक भारत के सातवें उप-प्रधानमंत्री का कार्य संभाला था जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे।
भाजपा के संस्थापकों में से एक रूप में जाने जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से नवाजा जाने का एलान हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घोषणा को अपने एक्स पर पोस्ट करके की। उन्होंने पोस्ट में यह कहा कि आडवाणी का योगदान भारत के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण है। आडवाणी ने अपने जीवन को स्थानीय स्तर से लेकर देश के उप-प्रधानमंत्री तक काम करते हुए अपना यात्रा तय किया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने एक ट्वीट में इस बात का ज्ञान दिया, “मैं आनंदित हूं कि लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से नवाजा जाएगा।
I am very happy to share that Shri LK Advani Ji will be conferred the Bharat Ratna. I also spoke to him and congratulated him on being conferred this honour. One of the most respected statesmen of our times, his contribution to the development of India is monumental. His is a… pic.twitter.com/Ya78qjJbPK
— Narendra Modi (@narendramodi) February 3, 2024
कौन है Lal Krishna Advani
मैंने उनसे बात की और उन्हें इस सम्मान के लिए बधाई दी। वे हमारे समय के प्रमुख नेता रहे हैं और उनका योगदान देश के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनका जीवन पूरी तरह से समर्पित रहा है और उन्होंने विभिन्न पदों पर सेवा की है, जिससे उनका समर्थन समृद्धि और सुव्यवस्था के क्षेत्र में महत्वपूर्ण रहा है।” लालकृष्ण आडवाणी को जानने के लिए, भाजपा के सबसे अग्रणी नेता और देश के सातवें उप-प्रधानमंत्री की यह उपाधि है। उनका जन्म पाकिस्तान के कराची में हुआ था और उन्होंने अपने जीवन को सार्वजनिक सेवा में समर्पित किया है।
आपके परिवार के बारे में जानकर उनके प्रारंभिक शिक्षा, पाकिस्तान से भारत आने का संदेश, और उनकी सेवा की शुरुआत का विवरण मिलता है। आडवाणी 2002 से 2004 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भारत के सातवें उप प्रधानमंत्री के पद पर रह चुके हैं। इससे पहले उन्होंने 1998 से 2004 के बीच भाजपा के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) में गृहमंत्री का कार्य संभाला था। वे उन व्यक्तियों में शामिल हैं जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी थी। 10वीं और 14वीं लोकसभा के दौरान उन्होंने विपक्ष के नेता की भूमिका पूरी तरह से निभाई है।
भाजपा ने कैसे RSS की इच्छा के खिलाफ कदम उठाया?
उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से की थी। 2015 में, उन्हें भारत के दूसरे सबसे उच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। मोदी की राजस्वीकरण के पीछे, आरएसएस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संघ के दबाव के बाद, पार्टी ने गोवा कार्यकारिणी में मोदी को चुनावी कमांडर बना दिया। यह एक अद्वितीय स्थिति थी, जब भाजपा संघ के खिलाफ गई, जिससे इस निर्णय को पलटना मुश्किल था।
वास्तव में, भाजपा को आने वाले लोकसभा चुनावों में संघ के कार्यकर्ताओं की आवश्यकता होगी, क्योंकि संघ का संगठन देशभर में मोदी के लिए प्रचंड समर्थन करेगा, जिसे पार्टी चुनावी लाभ और हानि से जुड़कर देख रही है। यह वार्ता वर्तमान की नहीं, बल्कि भविष्य की है। आडवाणी के विचार में, उनकी उम्र भी एक कारण है कि वे पार्टी से अलग हो रहे हैं। आडवाणी 84 वर्ष के हैं और आने वाले समय में राजनीतिक क्षेत्र में उनकी सक्रियता पर संदेह है। वहीं, पार्टी अपने भविष्य की योजना बना रही है। यदि मोदी पार्टी के नेतृत्व को संभालते हैं, तो बीजेपी नेतृत्व की चिंता से निजात पाएगी, अगले 10-15 साल के लिए।