Kyunki Saas Bhi Kabhi Bahu Thi 2 Vs Anupama: टीवी जगत में एक बार फिर धमाकेदार मुकाबला देखने को मिल सकता है। एक तरफ है आज का सबसे लोकप्रिय शो “अनुपमा”, जो लगातार टीआरपी में टॉप पर बना हुआ है, वहीं दूसरी ओर लौट रहा है एक आइकॉनिक शो — “क्योंकि सास भी कभी बहू थी” का नया सीजन। इस ऐतिहासिक सीरियल का सीजन 2, 29 जुलाई 2025 से Star Plus और Jio Cinema पर प्रसारित होगा। इसकी घोषणा होते ही सोशल मीडिया पर पुराने और नए दर्शकों के बीच बहस छिड़ गई — कि क्या “क्योंकि…” एक बार फिर वही जादू दोहरा पाएगा?
हितेन तेजवानी ने दिया फैंस की जंग पर जवाब
जब दर्शकों ने “अनुपमा बनाम क्योंकि सास…” की तुलना शुरू कर दी तो इस बहस में “क्योंकि…” के एक अहम किरदार हितेन तेजवानी (जो करण की भूमिका में हैं) ने शालीन प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा,
“अब हम आ रहे हैं, हमें आने दीजिए। फिर आप लोग तय करेंगे कि कौन बेहतर है। हम किसी को नीचा दिखाने नहीं आ रहे — बस एक पुरानी याद को फिर से जीना चाहते हैं।”
हितेन का यह जवाब दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर गया कि असली मुकाबला अब छोटे पर्दे पर दिल जीतने का है, ना कि टीआरपी की गिनती का।
फैंस के बीच नॉस्टाल्जिया बनाम नया जमाना
“क्योंकि सास भी कभी बहू थी” एक समय घर-घर में देखा जाने वाला सीरियल था, जिसमें स्मृति ईरानी तुलसी के किरदार में घर की आदर्श बहू बनी थीं। अब जब वही तुलसी दोबारा टीवी पर लौट रही हैं, तो 90s और 2000s की पीढ़ी इसे लेकर बेहद भावुक है। वहीं, आज की पीढ़ी के पास ‘अनुपमा’ जैसा मजबूत और सशक्त महिला किरदार है, जिसने नई सोच को घर-घर पहुंचाया है।
इसलिए यह तुलना सिर्फ दो शो की नहीं बल्कि दो विचारधाराओं और दो पीढ़ियों की है। एक शो बीते समय की यादों को ताजा करेगा, तो दूसरा आज की सच्चाई को दर्शा रहा है।
कास्ट और कहानी का क्या रहेगा अंदाज़?
“क्योंकि सास भी कभी बहू थी 2” में कई पुराने चेहरे दोबारा नजर आएंगे। स्मृति ईरानी (तुलसी), अमर उपाध्याय (मिहिर), हितेन तेजवानी (करण) और गौरी प्रधान (नंदिनी) जैसे सितारे फिर से उसी किरदार में लौटेंगे। शो को 150 एपिसोड के हिसाब से प्लान किया गया है, जिससे कहानी को न टाला जाएगा और न ही खींचा जाएगा।
वहीं दूसरी ओर, “अनुपमा” अपनी अलग ही पिच पर है — जहां हर एपिसोड एक सामाजिक संदेश के साथ आता है। ऐसे में दोनों शो अपनी-अपनी जगह पर मजबूत हैं।
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सोशल मीडिया पर भिड़ गए फैंस, लेकिन जीत किसकी होगी?
ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर फैंस में बहस गर्म हो चुकी है। कोई “अनुपमा” को महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बता रहा है, तो कोई “क्योंकि…” को टीवी का असली दौर कह रहा है।
कई यूज़र्स ने लिखा —
“अब तुलसी वापस आ गई हैं तो अनुपमा का वक्त खत्म!”
तो वहीं दूसरे यूज़र्स बोले —
“तुलसी हमारी बचपन की याद है, लेकिन अनुपमा हमारे आज की आवाज़ है।”
अंत में फैसला दर्शकों का ही होगा
दोनों शो में दम है। एक भावनाओं से जुड़ा है, तो दूसरा आज के समय की सोच को दर्शाता है। “क्योंकि…” की वापसी से टीवी पर ताजगी तो जरूर आएगी, लेकिन “अनुपमा” को टक्कर देना इतना आसान नहीं।
हितेन तेजवानी ने सही कहा —
“हमें आने दीजिए, फैसला आप पर छोड़ते हैं।”
तो अब दर्शकों के रिमोट और दिल में जगह बनाने की जंग शुरू हो चुकी है। देखना ये होगा कि जीत किसकी होती है — यादों की या वर्तमान की?