Indore Ganesh Murti, इंदौर में गणेश मूर्ति विवाद: मॉडर्न स्टाइल में मूर्ति निर्माण से भड़का आक्रोश, मूर्तिकारों पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में गणेश उत्सव से पहले भगवान गणेश की कुछ विशेष मूर्तियों को लेकर विवाद गहरा गया है। खजराना क्षेत्र में कुछ बंगाली मूर्तिकारों द्वारा बनाई जा रही आधुनिक शैली की मूर्तियों पर स्थानीय संगठन बजरंग दल ने कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि इन मूर्तियों की आकृति धार्मिक मर्यादाओं को ठेस पहुंचाने वाली है।
क्या है विवाद की जड़?
खजराना इलाके में स्थापित एक मूर्ति में भगवान गणेश की गोद में एक आधुनिक परिधान में बैठी युवती को दिखाया गया था। इस दृश्य को देखकर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने विरोध जताया। उन्होंने इस मूर्ति को अशोभनीय बताते हुए इसे हिंदू संस्कृति के खिलाफ करार दिया।
बजरंग दल का आरोप
बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि ये कलाकार पूर्व में भी देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को लेकर विवाद खड़ा कर चुके हैं। पहले उन्होंने देवी की मूर्तियों को बुर्का पहनाकर प्रदर्शित किया था और अब गणेश जी के साथ भी इस तरह की आपत्तिजनक कल्पना की जा रही है। उन्होंने इसे सुनियोजित धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की कोशिश बताया।

कलाकारों के खिलाफ प्रदर्शन और विरोध
सूचना मिलते ही बजरंग दल के विभाग संयोजक प्रवीण दरेकर के नेतृत्व में कई कार्यकर्ता मौके पर पहुंच गए। प्रतिमाएं देखने के बाद माहौल गरमा गया और कार्यकर्ताओं ने मौके पर मौजूद तीन मूर्तिकारों के चेहरे पर कालिख पोत दी और कथित तौर पर उनसे मारपीट भी की। इस घटना से क्षेत्र में तनाव फैल गया।
पुलिस की कार्रवाई
घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रण में लिया। फिलहाल इलाके में शांति बनाए रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है। पुलिस ने संबंधित कलाकारों से पूछताछ शुरू कर दी है और शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया है।
सामाजिक दृष्टिकोण
इस घटना ने एक बार फिर धार्मिक आस्था और कलात्मक अभिव्यक्ति की सीमाओं को लेकर बहस छेड़ दी है। जहां एक ओर कुछ लोग इसे रचनात्मक स्वतंत्रता मानते हैं, वहीं दूसरी ओर धार्मिक संगठनों का कहना है कि कला की आड़ में भगवानों की छवि से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जा सकती।

Indore Ganesh Murti
इंदौर की इस घटना ने त्योहारों से पहले एक ऐसा विवाद खड़ा कर दिया है, जो समाज में धार्मिक भावनाओं और अभिव्यक्ति की आज़ादी के बीच संतुलन पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले की जांच कहां तक जाती है और प्रशासन इस पर क्या रुख अपनाता है।