Government will implement Citizenship Amendment Act: आखिर क्यों मोदी सरकार चुनाव से पहले लागू करना चाहती है CAA, जानिए क्या है CAA, इसके फायदे और नुकसान। CAA (नागरिकता संशोधन कानून, 2019) को लेकर देश भर में चर्चा तेज हो गई है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बयान के बाद केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने भी यह दावा किया है कि CAA को लागू कर दिया जाएगा। पिछले कुछ समय से ही देश में CAA और UCC को लेकर विवाद चल रहा है। नागरिकता संशोधन कानून, 2019 के संबंध में देशभर में बवाल उत्पन्न हो गया है।
सीएए के मामले पर पूरे देश में एक बार फिर बहस तेज हो गई है। इससे पहले भी, नागरिकता संशोधन कानून को लेकर कई विवाद देखे गए हैं। अभी हाल ही में, केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि सीएए देश का कानून है और इसे स्थितियों के अनुसार लागू किया जाएगा। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी हाल ही में इस बारे में स्पष्ट कर दिया है कि जल्द ही प्रदेश में संविधान संशोधन कानून (यूसीसी) लागू होगा। इसका ड्राफ्ट तैयार हो चुका है और 2 फरवरी को यह पेश किया जा सकता है।
क्या है Citizenship Amendment Act ?
साथ ही, पिछले सोमवार (29 जनवरी) को केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने भी पश्चिम बंगाल में इसे एक हफ्ते के अंदर लागू किया जाएगा का दावा किया। उन्होंने इसे केवल पश्चिम बंगाल में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में लागू किया जाएगा, यह भी कहा। नागरिकता संशोधन कानून, जिसे CAA के नाम से जाना जाता है, भारतीय संसद द्वारा 2019 में पारित किया गया था। यह कानून तीन पड़ोसी देशों, जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, और बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यक लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का रास्ता खोलता है, जो कि लंबे समय से भारत में निवास कर रहे हैं।
Government will implement Citizenship Amendment Act
इस कानून में किसी भी भारतीय की नागरिकता को छीनने का कोई प्रावधान नहीं है, चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय का हो। इससे भारत के मुस्लिम समुदाय की नागरिकता को कोई खतरा नहीं है। CAA को भारतीय संसद में 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था। इस विधेयक को 125 वोट समर्थन में और 105 वोट विरोध में पारित किया गया था। राष्ट्रपति द्वारा इसे 12 दिसंबर को मंजूरी दी गई थी। इसे अनेकों द्वारा ऐतिहासिक कदम माना गया है, जबकि कुछ विपक्षी दल और मुस्लिम समुदाय के संगठनों ने इसका विरोध किया है।
CAA के संबंध में उत्पन्न विवाद का कारण क्या है?
CAA का पूरा नाम ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम’ है, जिसे पहले ‘नागरिकता संशोधन विधेयक’ (CAB) के नाम से जाना जाता था। इसके पारित होने के बाद, इसे ‘नागरिकता संशोधन कानून’ (CAA) के रूप में अपनाया गया है। नागरिक (संशोधन) कानून में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, और पाकिस्तान से विशेष धार्मिक समुदायों (हिन्दू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध, और पारसी) को अवैध अप्रवासियों के रूप में भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है। कुछ आलोचक इसे विभाजनकारी मानते हैं क्योंकि इसमें मुस्लिम समुदायों को शामिल नहीं किया गया है, जिससे यह विवादित मुद्दा उत्पन्न हुआ है।
CAA में मुस्लिमों को अब तक क्यों नहीं शामिल किया गया है?
गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में नागरिकता संशोधन कानून के बारे में कहा कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान, और बांग्लादेश मुस्लिम बहुसंख्यक देश हैं। इन देशों में धर्म के आधार पर मुस्लिमों का प्रताड़न नहीं होता, जबकि हिन्दुओं समेत अन्य समुदायों को प्रताड़ित किया जाता है। इसलिए इन देशों के मुस्लिमों को नागरिकता कानून में शामिल नहीं किया गया है। यहाँ तक कि वे नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिस पर सरकार निर्णय लेगी।
किसको नागरिकता प्राप्त होगी?
सीएए के प्रावधान के अनुसार, नागरिकता प्रदान का पूर्ण अधिकार केंद्र सरकार को होगा। पाकिस्तान, बांग्लादेश, और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई, और पारसी धर्म से जुड़े शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी। 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आकर बस गए लोगों को ही यह लाभ मिलेगा। इस कानून के तहत, उन लोगों को अवैध प्रवासी माना जाएगा जो वैध यात्रा दस्तावेज (पासपोर्ट और वीजा) के बिना भारत में प्रवेश करें या फिर वैध दस्तावेज के साथ आए हों, लेकिन निर्धारित समय से अधिक समय तक यहां रुके हों।
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