Demonetization: नोटबंदी के 7 साल पूरे! कितना कम हुआ भ्रष्टाचार ?

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Demonetization: नोटबंदी के 7 साल पूरे! कितना कम हुआ भ्रष्टाचार ?
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Demonetization: नोटबंदी के 7 साल पूरे! कितना कम हुआ भ्रष्टाचार ? नोटबंदी के सात साल: कैश के चलन को काम करने की मंशा से किए नोटबंदी के ऐतिहासिक फैसले को 7 साल हो गए हैं. हालांकि, इन वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था में कैश का चलन तेजी से बढ़ा है। नोटबंदी (Demonetization) के परिणामस्वरूप जो कई अद्वितीय और प्राधान्यपूर्ण परिणाम हुए हैं, उनके बारे में विचार करने का समय है।

2016 में भारत में नोटबंदी (Demonetization) का प्रमुख उद्देश्य नकद धन के चलन को कम करना था। यह ऐतिहासिक फैसला अब सात साल पहले किया गया था और इसके संविदानिक आरंभ की यात्रा और प्रभाव की जाँच के लिए अब समय आ गया है।

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Demonetization: नोटबंदी के 7 साल पूरे! कितना कम हुआ भ्रष्टाचार ?

Demonetization:नोटबंदी का देश भर मे प्रभाव

Demonetization के बाद, कैश व्यवस्था में बड़े परिवर्तन हुए। बैंकों ने डिजिटल वित्तीय सेवाओं को प्रमोट किया और लोगों को नकद विचार करने पर मजबूर किया। इसके परिणामस्वरूप, भारतीय अर्थव्यवस्था में नकद का उपयोग कम हो गया और डिजिटल लेन-देन की वृद्धि हुई।

संकेतन काल के साथ आत्मनिर्भरता: नोटबंदी (Demonetization) के बाद, भारत ने स्वतंत्रता संकेतन काल की ओर बढ़ने का प्रयास किया। इसके परिणामस्वरूप, बड़ी संख्या में लोग अपने वित्तीय परिदृश्य को सुधारने के लिए नकद से डिजिटल माध्यमों की ओर मोड़ रहे हैं।

नोटबंदी के प्रतिस्पर्धी देशों के साथ तुलना: भारत की तरह कई अन्य देशों ने भी नोटबंदी की ओर कदम बढ़ाया है। यह प्रयास नकद वित्त को कम करने और डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

नोटबंदी के लाभ और हानियाँ: नोटबंदी के परिणामस्वरूप नकद वित्त को कम किया गया, लेकिन इसके साथ ही कई लोगों को इसके प्रतिशत परिणाम भी झेलने पड़े। यह प्रयास अपने मकसद की प्राप्ति में कई विफलियों के साथ आया, और इसने गरीब और वंचित लोगों को असहाय रूप से प्रभावित किया।

नोटबंदी का भविष्य: नोटबंदी के बाद, भारत में डिजिटल वित्त के क्षेत्र में बड़ी वृद्धि दर्ज की गई है, और यह तबादलों का पर्याप्त साक्षर था। इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में आने वाले सालों में और बढ़ता हुआ रुख देखने के लिए हम बेहद उत्सुक हैं।

Demonetization: नोटबंदी के 7 साल पूरे! कितना कम हुआ भ्रष्टाचार ?

नोटबंदी का महत्व: नोटबंदी का सात साल पूरे होने पर, हमें यह समझने का समय आ गया है कि कैसे यह ऐतिहासिक फैसला भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज को प्रभावित किया है। इसके द्वारा हमें सिखने का अवसर मिलता है कि धन के प्रबंधन के क्षेत्र में और क्या सुधार करने के आवश्यक है और कैसे हम अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल हो सकते हैं।

नकली नोटों की नकेल कसने का प्रयास किया

Demonetization: सात साल के बाद, हमें नोटबंदी के प्रभाव की विस्तार से जाँच करने का समय आ गया है, और यह हमें यह सिखने का अवसर देता है कि कैसे हम अपने वित्तीय प्रबंधन को सुधार सकते हैं और भारत की अर्थव्यवस्था को और भी मजबूत बना सकते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर, 2016 को रात 8 बजे किये गए एलान ने देश के साथ ही विश्व के बाजारों में भी चरम परिवर्तन लाया। इस ऐलान के परिणामस्वरूप, 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को तुरंत बंद (Demonetization) कर दिया गया और उनके स्थान पर 500 और 2000 के नए नोट जारी किए गए। इसके साथ ही, इस ऐलान के माध्यम से सरकार ने काले धन की रोकथाम का प्रयास किया, नकली नोटों की नकेल कसने का प्रयास किया, और लेन-देन में कैश का चलन कम करने का प्रयास किया।

Demonetization: नोटबंदी के 7 साल पूरे! कितना कम हुआ भ्रष्टाचार ?

यह (Demonetization) कदम एक तरह से देश में एक नये आर्थिक सुधार की ओर महत्वपूर्ण कदम था, जिसका उद्देश्य था ब्लैक मनी, यानी काले धन की रोकथाम करना, विशेष रूप से ऐसे धन को जिसे नकली नोटों और मुद्राओं के माध्यम से बचाया जा रहा था। इसके अलावा, यह नोटबंदी (Demonetization) का कदम बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं को अधिक नोटों को प्रसंस्कृत करने का अवसर देने के रूप में भी देखा गया था।

लोगों ने स्वीकार किया कि उन्हें काफी कैश देना पड़ा।

Demonetization: प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त का नकदी का लेन-देन बड़े पैमाने पर होता था, यह बात बिना किसी शक के सही है. इसके पीछे कई कारण हैं, जिनमें से एक मुख्य कारण था स्टाम्प ड्यूटी बचाने का प्रयास। जब भी कोई व्यक्ति किसी प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त करता था, तो सरकार द्वारा निर्धारित स्टाम्प ड्यूटी के भुगतान के लिए उसे प्रॉपर्टी की मूल्य का एक निश्चित हिस्सा देना होता था. इसके बदले में, व्यक्ति को एक स्टाम्प पेपर का भुगतान करना पड़ता था, जिसे सरकार द्वारा मंजूरी प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया जाता था। इसका मकसद प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त की वास्तविक मूल्य को स्थिर रखना और सरकार के वित्तीय संसाधनों को बढ़ावा देना था।

हालांकि, यह प्रक्रिया किसी को अपनी प्रॉपर्टी की वास्तविक मूल्य का भुगतान करने में कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद, कई लोग इस से बचने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग करते थे। एक ऐसा तरीका था कि वे प्रॉपर्टी की कीमत को कम दिखाते और बाकी के पैसे को कैश में ले लेते। यह कानून का उल्लंघन था और नियमों के खिलाफ था, लेकिन कई लोग इसे अपने फायदे के लिए करते थे। एक सर्वे के मुताबिक, पिछले सात सालों में जिन लोगों ने भी प्रॉपर्टी खरीदी, उनमें से 76 फीसदी लोगों ने स्वीकार किया कि उन्हें काफी कैश देना पड़ा।

Demonetization: नोटबंदी के 7 साल पूरे! कितना कम हुआ भ्रष्टाचार ?

Demonetization: एक हाल का सर्वे ने दिखाया कि 56 प्रतिशत लोगों के पास अब भी कैश का इस्तेमाल हो रहा है, और पिछले एक साल में उनके कुल खर्च का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा कैश के रूप में गया है। इसका मतलब है कि डिजिटल पेमेंट के बावजूद, कई लोग अभी भी कैश का इस्तेमाल करते हैं और उनके पास इस रकम की कोई रसीद नहीं होती। यह सर्वे बहुत बड़ी श्रेणी की लोगों की भागीदारी के साथ किया गया था, और इसमें 363 जिलों के 44 हजार लोगों ने हिस्सा लिया। इसके परिणामस्वरूप हमें यह पता चलता है कि भारत के गाँवों से लेकर शहरों तक कई लोग अभी भी कैश का उपयोग करते हैं।

Demonetization: कैश पेमेंट की जद में है एक देश की आर्थिक प्रणाली

छोटे शहरों के लोगों का 50 से 100 फीसद तक घरेलू खर्चा कैश में हो रहा है, यह एक महत्वपूर्ण विचार है जिसे हमें गौर से सोचना चाहिए। आजकल की तेजी से बढ़ती डिजिटल युग में, यह दिखाता है कि छोटे शहरों के लोग भी इस तथ्य को नकारने से पीछे नहीं हैं, और वे अपने दैनिक जीवन में नकद पैसे का विशेष इस्तेमाल कर रहे हैं। लगभग 59 फीसद लोग आज भी FMCG उत्पादों, होटल में खाना और फूड डिलीवरी के लिए कैश का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो एक दिन-दिन की जिंदगी के हिस्से हैं। इसका मतलब है कि कैश आज भी छोटे शहरों में महत्वपूर्ण भूम

सर्वे के मुताबिक, लगभग 15 फीसदी लोग ज्वैलरी और सेकेंड हैंड कारों को खरीदते समय कैश पेमेंट करते हैं. यह संकेतक है कि कैश का महत्व भारतीय आर्थिक प्रणाली में अब भी अत्यधिक है. घरेलू सहायक और मजदूर भी ज्यादातर अपना पैसा कैश में ही टियर-3 और टियर-4 शहरों एवं ग्रामीण इलाकों में स्ट्रीट वेंडर और दुकानदार का बिजनेस भारतीय अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण हिस्से का हिस्सा हैं। ये व्यापारी अकेले ही अपने परिवारों की जरूरतों को पूरा करने के लिए दुकान चलाते हैं और साथ ही अपने ग्रामीण समुदायों और छोटे शहरों में सामाजिक और आर्थिक रूप से मदद करते हैं।

Demonetization: नोटबंदी के 7 साल पूरे! कितना कम हुआ भ्रष्टाचार ?

Demonetization: हालांकि, दिजिटल भुगतान के क्षेत्र में भारत में कई बड़े परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं, जैसे कि डिजिटल वॉलेट, यूपीआई और अन्य मोबाइल बेन्किंग सेवाएं, लेकिन यह परिवर्तन टियर-3 और टियर-4 शहरों और ग्रामीण इलाकों में अभी भी धीरे-धीरे हो रहे हैं। इन क्षेत्रों में अधिकांश स्ट्रीट वेंडर और दुकानदार कैश को पसंद करते हैं और डिजिटल ट्रांजेक्शन को पूरी तरह स्वीकार नहीं करते हैं।

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