लाड़ली बहना योजना के बाद अब CM शिवराज शुरू करेंगे “लखपति बहना योजना”

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लाड़ली बहना योजना के बाद अब CM शिवराज शुरू करेंगे "लखपति बहना योजना"
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लाड़ली बहना योजना के बाद अब CM शिवराज शुरू करेंगे “लखपति बहना योजना”। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए आज प्रचार का आखिरी दिन है, वहीं मतदान में अब केवल दो दिन बाकी हैं। ऐसे में सभी दल जोरों शोरों से प्रचार करते हुए जनता को अपने पक्ष में करने में जुटे हुए हैं।इसी कड़ी में शिवराज सिंह चौहान ने एक बड़ा ऐलान किया है। भाई दूज के अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और लाडली बहनों के प्यारे भैया शिवराज सिंह चौहान ने अपनी लाडली बहनों को तोहफा दिया है।

क्या है लखपति बहना योजना

मध्य प्रदेश के चुनावी समर में त्योहारो का असर साफ देखने को मिल रहा है। भाई दूज के मौके पर सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य के उभरते बड़े वोटर समूह यानि प्रदेश की महिलाओं को अपनी ओर करने के लिए चुनाव से ठीक पहले अपना एक और ध्रुव का इक्का खेल दिया है। भाई दूज पर उन्होने अपनी बहनों से ये वादा किया है, मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद वे लाडली बहना योजना की तरह लखपति बहना योजना शुरू करेंगे। और अपनी बहनों को लखपति बनाएंगे।

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कब शुरु होगी लखपति बहना योजना

सीएम शिवराज बुधवार भाई दूज के दिन सुबह-सुबह मीडिया से मुखातिब हुए और घोषणा करते हुए कहा कि वो राज्य की हर महिला को लखपति बनाएंगे। इसके लिए वे जल्द ही योजना शुरू करने वाले है। साथ ही जिनके बहनों के नाम लाड़ली बहना योजना में छूट गए हैं, उनके नाम भी जोड़े जाएंगे। राजनीति में चुनाव से पहले शिवराज के इस ऐलान को महिला वोटर्स को लुभाने के लिए ट्रंप कार्ड समझा जा रहा है। चुनावी माहौल के चलते शिवराज सिंह चौहान लगातार अपनी ‘मामा’ वाली छवि को चमकाने में लगे है।

मध्यप्रदेश में महिलाओं और लड़कियों की स्थिति लगातार बेहतर करने के लिएभारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पूरे देश में ‘मामा’ उपनाम से जाना जाता हैं। अक्सर शिवराज खुद को महिलाओ के भाई और भांजे भांजियों का मामा बताते हैं। इसलिए विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से ठीक 2 दिन पहले उन्होंने लखपति बहना योजना शुरू करने का ऐलान किया है। क्योंकि मध्यप्रदेश में मतदाताओं की मनोस्थिति को देखा जाए तो ये कहना गलत नहीं होगा कि जिसने जीता महिलाओं का साथ, उसकी सत्ता पक्की!

सियासी पंडितों की मानें तो वर्तमान में मध्यप्रदेश में इस बार महिलाएं और आदिवासी ऐसे दो वोटर समूह हैं, जो किसी राजनैतिक दल को सत्ता दिला भी सकते है और उनसे सत्ता छीन भी सकते है। इन दोनों वोटर समूह का साथ जिस भी दल को मिलेगा, मुख्यमंत्री की कुर्सी उससे ज्यादा दूर नहीं होगी। ऐसे में मध्यप्रदेश के दोनों प्रमुख दल कांग्रेस और बीजेपी समेत अन्य राजनैतिक दल भी इन वोटर समूहों को अपनी ओर खींचने की कोशिश में लगे हुए हैं।

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