SAARC: चीन-पाकिस्तान और बांग्लादेश के नए गठबंधन से हिलेगी दक्षिण एशिया की राजनीति! भारत को घेरने की तैयारी?

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SAARC: चीन-पाकिस्तान और बांग्लादेश के नए गठबंधन से हिलेगी दक्षिण एशिया की राजनीति! भारत को घेरने की तैयारी?
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SAARC; दक्षिण एशिया की पारंपरिक क्षेत्रीय संस्था SAARC (South Asian Association for Regional Cooperation) पिछले कई वर्षों से निष्क्रिय पड़ी है। इसके 18वें शिखर सम्मेलन के बाद से—जिसमें 2014 में काठमांडू में बैठक हुई थी—देशों के विवादों के कारण कोई महत्वपूर्ण बैठक आयोजित नहीं हो सकी ।

इस राजनीतिक शून्यता का लाभ उठाते हुए चीन-पाकिस्तान- बांग्लादेश का गठजोड़ नए मंच की रूप-रेखा तैयार कर रहा है। इसका मकसद SAARC को अप्रभावी बनाकर उसे एक नई दक्षिण एशियाई असेंबली से प्रतिस्थापित करना है । यह समूह रणनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग में भारत के प्रभाव को चुनौती देने की कवायद में जुटा है।

🕵️ चीन-पाकिस्तान- बांग्लादेश vs SAARC

  • कुनमिंग मीटिंग: रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में चीन के कुनमिंग शहर में पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ एक बैठक हुई, जहाँ इस नए संगठन की रूपरेखा तय की गई ।
  • प्रस्तावित मेंबरशिप: शुरुआत में यह संभावित रूप से पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश तक सीमित हो, लेकिन बाद में इसके विस्तार की योजना भी बन रही है—जिसमें पड़ोसी मध्य एशियाई देश और ईरान के शामिल होने की भी चर्चा हो रही है ।

🛑 भारत का रुख और समकक्ष संगठन

भारत ने पाकिस्तान के SAARC के पुनरूद्धार के प्रयासों पर कड़ा रुख अपनाया है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में SAARC को पुनर्जीवित करने का कोई औचित्य नहीं है, और यह क्षेत्रीय हितों को कमजोर करेगा।

SAARC: चीन-पाकिस्तान और बांग्लादेश के नए गठबंधन से हिलेगी दक्षिण एशिया की राजनीति! भारत को घेरने की तैयारी?

इसके विपरीत, भारत ने BIMSTEC (Bay of Bengal Initiative for Multi‑Sectoral Technical and Economic Cooperation) को प्राथमिकता दी है, जिसमें पाकिस्तान और अफगानिस्तान शामिल नहीं हैं। यह संगठन आर्थिक, तकनीकी और सामाजिक-सहयोग के नए आयाम प्रस्तुत करता है ।

🌐 भारत पर नए गुट का असर

  1. दक्षिण एशियाई प्रभुत्व में चुनौतियाँ: नए समूह के गठन से भारत की राजनीतिक और आर्थिक एकाधिकार की नींव कमजोर हो सकती है।
  2. कूटनीतिक आइसोलेशन: यदि पाकिस्तान-बांग्लादेश-चीन का नया मंच सफल होता है, तो भारत दक्षिण एशियाई मंचों में अकेला पड़ सकता है।
  3. नए शक्ति समीकरण: चीन को मध्य एशियाई और पश्चिम एशियाई देशों को जोड़ने का जरिया मिलेगा, जिससे क्षेत्र में उसकी विस्तारवादी ताकत बढ़ेगी ।

🧭 भारत की रणनीतिचार बाहु उपाय

  • रिपनजेंट पॉलिसी (Gujral Doctrine): भारत को अपने पड़ोसियों—भूटान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका—के साथ G-डॉक्ट्रिन आधारित सहयोग को बढ़ाना चाहिए ।
  • BIMSTEC को सशक्त बनाना: आर्थिक-तकनीकी सहयोग की वजह से यह मंच SAARC की तुलना में अधिक गतिशील है।
  • डिफेंस और रणनीतिक गठबंधन: SAARC के मुकाबले भारत को QUAD, SCO, I2U2 जैसे बहु-क्षेत्रीय प्लेटफार्मों पर सक्रिय जाना चाहिए। चौतरफा कोलैबोरेशन बनाए रखना जरूरी है।
  • वैक्सीन कूटनीति एवं इंफ्रास्ट्रक्चर डिप्लोमेसी: Covid‑19 के दौरान भारत ने पड़ोसी देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराकर अपनी सहयोग क्षमता दर्शाई। इसी तरह के सहयोग और भौतिक प्रयासों से वितरण उसकी छवि को मजबूत करेंगे ।
SAARC: चीन-पाकिस्तान और बांग्लादेश के नए गठबंधन से हिलेगी दक्षिण एशिया की राजनीति! भारत को घेरने की तैयारी?

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🔍 यह कितना यथार्थ?

  • क्या SAARC को बदलना सम्भव है? नेपाल जैसे देशों ने साफ़ कहा है कि वे BIMSTEC से SAARC का विकल्प अपनाने को स्वीकार नहीं करेंगे ।
  • क्या अन्य सदस्य देश प्रतिरोध करेंगे? श्रीलंका, भूटान, नेपाल और मालदीव जैसे देश भारत के गठबंधन में होंगे, जो नए डोमिनेंस को चुनौती दे सकते हैं।
  • क्या चीन ने इस मंच में स्थिर भागीदारी की सोच रखी है? SAARC में चीन अभी पर्यवेक्षक है, लेकिन नए गुट में उसकी सक्रिय भूमिका और अफगानिस्तान, ईरान को जोड़ने की योजना से यह गंभीर रूप धारण कर रहा है ।

🧠 भारत के लिए रणनीतिक जिम्मेदारी

  • डिफेंस मजबूती: चीन-पाकिस्तान गठजोड़ को देखते हुए भारत को अपनी सुरक्षा तैयारियों को और तेज करना है।
  • मेड-इन-इंडिया डिफेंस सिस्टम: पिनाका रॉकेट, S‑400/AESA अपग्रेड जैसे रक्षा निवेश इस दिशा में मदद कर रहे हैं—जो क्षेत्रीय सुरक्षा बाधाओं का मुकाबला कर सकते हैं ।
  • कूटनीतिक पराक्रम: वैश्विक संस्थाओं में भारत को सक्रिय कूटनीतिक भूमिका निभानी होगी, ताकि SAARC जैसे पुराने प्लेटफार्म पुनर्जीवित हों या नए विकल्प में भारत के हित सुरक्षित रहें।

🔚 निष्कर्ष

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय रणनीति में आज एक महत्वपूर्ण मोड़ सामने आया है: चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश का नया गुट बनने की दिशा पकड़ रहा है। यदि यह गठबंधन सफल होता है, तो SAARC के अलावा भारत के क्षेत्रीय प्रभुत्व की नींव पर और अधिक दबाव पड़ेगा।

भारत के लिए समय रहते उत्तरदायित्व लेना आवश्यक है—चाहे वह BIMSTEC को मजबूत करना हो, रक्षा क्षमता बढ़ाना हो या कूटनीति में चौतरफा जुड़ाव हो। इससे SAARC जैसे संस्थानों को पुनर्जीवित करना, नई बहुपक्षीयता को विकसित करना, और भारत की दक्षिण एशिया में भूमिका को स्थिर करना संभव होगा। क्या आप इस नए गुट और भारत की रणनीति पर और गहराई में जानना चाहेंगे? जैसे—रक्षा संजीवनी, नया ब्लॉक का विवरण, या भारत का कूटनीतिक जवाब—तो बताइए, विस्तार से जानकारी दूँगा।

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