किसानों की बेटियों की शादी में मामा बनकर पहुंचेगा भोपाल दुग्ध संघ: देगा खास तोहफा

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किसानों की बेटियों की शादी में मामा बनकर पहुंचेगा भोपाल दुग्ध संघ: देगा खास तोहफा
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भोपाल दुग्ध संघ ने किसानों के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक मानवीय और सराहनीय पहल की शुरुआत की है। अब जब भी किसी सदस्य किसान की बेटी की शादी होगी, तो भोपाल दुग्ध संघ “मामा” बनकर शादी समारोह में पहुंचेगा और ‘मामेरा’ के रूप में उपहार भेंट करेगा। यह परंपरा मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को सहेजते हुए किसानों को भावनात्मक सहारा देने का प्रयास है।


क्या है यह नई पहल?

भोपाल दुग्ध संघ ने तय किया है कि अपने जुड़े हुए किसानों की बेटियों की शादी में ‘मामेरा’ देगा। इस मामेरे में 11,000 रुपये नकद और साड़ी या अन्य कपड़ों का तोहफा दिया जाएगा। शादी के दिन संघ के 7 से 11 सदस्यों की एक टीम विवाह समारोह में शामिल होकर यह उपहार सौंपेगी। यह योजना 2025 के विवाह सत्र से शुरू की जाएगी।


मामेरा का महत्व

मध्यप्रदेश खासकर मालवा और निमाड़ क्षेत्रों में ‘मामेरा’ एक पुरानी परंपरा है जिसमें मामा अपनी भांजी को विवाह में स्नेहपूर्वक उपहार देता है। यह उपहार केवल वस्तु नहीं, एक भावनात्मक जुड़ाव और जिम्मेदारी का प्रतीक होता है। अब भोपाल दुग्ध संघ भी किसानों का “मामा” बनकर यह भूमिका निभाएगा।


मामेरे के लिए फंड कैसे बनेगा?

इस योजना के लिए एक विशेष फंड बनाया गया है जो दूध की हर लीटर बिक्री पर 2 पैसे जोड़कर तैयार किया जाएगा। किसानों के द्वारा दिए गए दूध पर जितना पैसा इकट्ठा होगा, उतनी ही राशि दुग्ध संघ खुद भी उसमें जोड़ेगा। इस तरह जमा होने वाला पैसा एक विशेष कोष में रखा जाएगा, जिसकी निगरानी के लिए 5 से 7 लोगों की एक समिति बनाई गई है।

किसानों की बेटियों की शादी में मामा बनकर पहुंचेगा भोपाल दुग्ध संघ: देगा खास तोहफा

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योजना की शुरुआत और विस्तार

इस योजना की शुरुआत फिलहाल भोपाल दुग्ध संघ से हो रही है, लेकिन आने वाले समय में इसे मध्यप्रदेश की अन्य दुग्ध संघ इकाइयों में भी लागू किया जाएगा। इस प्रयास से किसानों और दुग्ध संघ के बीच केवल व्यवसायिक नहीं, बल्कि पारिवारिक और भावनात्मक रिश्ता भी बनेगा।


भोपाल दुग्ध संघ की भूमिका

भोपाल दुग्ध संघ वर्तमान में करीब 68,000 दुग्ध उत्पादक किसानों से जुड़ा हुआ है और प्रतिदिन 3 लाख लीटर से अधिक दूध एकत्र करता है। सांची ब्रांड के तहत दूध, दही, घी, लस्सी, श्रीखंड जैसे उत्पाद बाजार में मौजूद हैं। संघ के CEO प्रीतेश जोशी का कहना है कि यह पहल किसानों के प्रति हमारे परिवारिक रिश्ते को और मजबूती देगी।


यह पहल क्यों है खास?

  • यह केवल एक वित्तीय सहायता नहीं, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक समर्थन भी है।
  • इससे किसानों को यह महसूस होगा कि उनका संघ उनके सुख-दुख में साथ खड़ा है।
  • बेटियों की शादी जैसे विशेष अवसर पर संघ का यह योगदान किसान परिवारों के लिए राहत और सम्मान दोनों है।
  • यह परंपरा सामाजिक जुड़ाव का नया उदाहरण बनेगी।

भोपाल दुग्ध संघ

भोपाल दुग्ध संघ की यह अनोखी पहल एक नई मिसाल कायम कर रही है। यह ना केवल किसानों के आर्थिक सहयोग का जरिया बनेगी, बल्कि सामाजिक रिश्तों को भी गहराई देगी। आने वाले वर्षों में यह परंपरा मध्यप्रदेश के हर कोने में एक सकारात्मक बदलाव की शुरुआत बन सकती है।

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