bhopal 90 degree bridge: भोपाल में बना एक नया ओवरब्रिज देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है — लेकिन तारीफों की वजह से नहीं, बल्कि अपनी विचित्र बनावट और तकनीकी चूक की वजह से। यह पुल 90 डिग्री कोण पर मोड़ लेता है, जिससे गुजरना न सिर्फ मुश्किल बल्कि जानलेवा साबित हो सकता था।
इस “90 डिग्री पुल” की खबर जब बड़े-बड़े मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रमुखता से दिखाई गई, तो शासन-प्रशासन को हरकत में आना पड़ा। खबर का तात्कालिक असर हुआ और 8 इंजीनियरों को सस्पेंड कर दिया गया है।
📍 क्या है पूरा मामला?
भोपाल के बीएचईएल क्षेत्र में एक फ्लाईओवर ब्रिज का निर्माण हाल ही में पूरा किया गया था। यह पुल श्यामला हिल्स को जोड़ने के उद्देश्य से बनाया गया, जिससे ट्रैफिक में आसानी हो सके। लेकिन निर्माण के बाद जब इसे जनता के लिए खोला गया, तो हर कोई इसकी बनावट देखकर हैरान रह गया।
पुल का मोड़ एकदम 90 डिग्री पर है — यानी ड्राइवर को तेज़ी से पूरी तरह गाड़ी घुमानी पड़ती है। यह मोड़ इतना तीव्र है कि कोई भी भारी वाहन या बस वहां सही तरीके से नहीं घूम सकती।
🎥 वायरल हुआ वीडियो, मच गया हंगामा
इस पुल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें देखा गया कि एक कार बहुत मुश्किल से मोड़ पर घूम रही है। वीडियो के साथ कैप्शन था:
“इंजीनियरिंग का चमत्कार या दुर्घटना की तैयारी?”
वीडियो को हजारों लोगों ने शेयर किया और फिर कई राष्ट्रीय चैनल्स ने इस खबर को अपनी प्राथमिकता में लिया। इसके बाद जनता में आक्रोश और राजनीतिक दबाव दोनों तेजी से बढ़े।
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📰मीडिया की रिपोर्ट का असर
मीडिया ने इस मामले पर ग्राउंड रिपोर्टिंग की और तकनीकी विशेषज्ञों से बात कर पुल के डिज़ाइन में हुई चूक को उजागर किया।
रिपोर्ट में कहा गया कि:
- डिज़ाइन अप्रूवल बिना ट्रैफिक डेटा के किया गया था
- रोड इंजीनियरिंग के बेसिक सिद्धांतों की अनदेखी हुई
- सेफ्टी ऑडिट नहीं कराया गया
रिपोर्ट का असर इतना तीव्र था कि सरकार को तुरंत जांच का आदेश देना पड़ा।
❌ 8 इंजीनियर निलंबित — पहली कार्रवाई
मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम (MP-RDC) और PWD द्वारा जारी आदेश में पुल निर्माण से जुड़े 8 इंजीनियरों को निलंबित कर दिया गया है। इसमें:
- 2 कार्यपालन अभियंता
- 3 सहायक इंजीनियर
- 3 जूनियर इंजीनियर
सभी को “कर्तव्य में लापरवाही और जन-सुरक्षा से खिलवाड़” के आधार पर दोषी पाया गया है।
📉 तकनीकी गलती या भ्रष्टाचार?
विशेषज्ञों का मानना है कि ये गलती सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि प्रक्रियात्मक लापरवाही और संभावित भ्रष्टाचार का नतीजा भी हो सकती है।
तकनीकी कमियाँ:
- ब्रिज डिजाइन में किसी प्रोफेशनल ट्रैफिक सर्कुलेशन एक्सपर्ट की सलाह नहीं ली गई
- विजिबिलिटी ट्रायल और यूज़र सेफ्टी टेस्ट नहीं किए गए
- पेडेस्ट्रियन व साइकल ट्रैफिक के लिए कोई स्पेस नहीं रखा गया

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🚨 जनता का गुस्सा और विपक्ष का हमला
पुल की तस्वीरें और वीडियो जैसे-जैसे वायरल हुए, वैसे-वैसे आम जनता ने इसे “भोपाल का ब्लंडर ब्रिज” कहना शुरू कर दिया।
कई स्थानीय नागरिकों ने इसे हटाने या फिर से डिज़ाइन करने की मांग की है।
विपक्षी दलों ने भी इसे लेकर सरकार पर हमला बोला। कांग्रेस नेता ने बयान दिया:
“90 डिग्री पर बना यह पुल इंजीनियरिंग नहीं, भ्रष्टाचार की डिग्री का प्रमाण है।”
🏛️ सरकार की अगली योजना
मध्य प्रदेश के शहरी विकास मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि:
- पुल की डिज़ाइन रिव्यू के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी को नियुक्त किया गया है
- अगर जरूरत हुई तो पुल को रीडिज़ाइन और री-कंस्ट्रक्ट किया जाएगा
- 15 दिनों के भीतर जवाबदेही तय की जाएगी
🧠 bhopal 90 degree bridge
भोपाल का 90 डिग्री पुल केवल एक निर्माण भूल नहीं, बल्कि एक चेतावनी है — कि कैसे जनता की सुरक्षा को नजरअंदाज़ कर सिस्टम में बैठे लोग लापरवाही करते हैं।