Shattila Ekadashi Vrat 2024: भगवान विष्णु की इस कथा के बिना अधूरा है षटतिला एकादशी का व्रत, ये कथा पढ़ने से घर में होगी धन की बरसा

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Shattila Ekadashi Vrat 2024: भगवान विष्णु की इस कथा के बिना अधूरा है षटतिला एकादशी का व्रत, ये कथा पढ़ने से घर में होगी धन की बरसा
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Shattila Ekadashi Vrat 2024: भगवान विष्णु की इस कथा के बिना अधूरा है षटतिला एकादशी का व्रत, ये कथा पढ़ने से घर में होगी धन की बरसा। आज माघ मास के कृष्ण पक्ष की षटतिला एकादशी का व्रत आज रखा जाएगा। आज के दिन यह व्रत रखने से श्री हरि प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों का जीवन भर साथ निभाते हैं। परन्तु इस व्रत का फल सम्पूर्ण माना जाता है जब आप इसकी कथा को सुनें या पढ़ें। आइए जानते हैं क्या है षटतिला एकादशी व्रत की पुण्य कथा।

कब करना है Shattila Ekadashi Vrat 2024

हिंदू धर्म में प्रत्येक एकादशी का विशेष महत्व है। आज, 6 फरवरी 2024 को माघ मास की शुक्ल पक्ष की षटतिला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस व्रत का पालन करने से भगवान नारायण की अद्भुत कृपा प्राप्त होती है। साथ ही, जीवन में सफलता और समृद्धि भी मिलती है। यदि आप आज षटतिला एकादशी का व्रत रखते हैं और इसका फल प्राप्त करना चाहते हैं, तो रात्रि भर भगवान की पूजा-अर्चना करें। यदि आप रात भर जाग कर भगवान की पूजा करने में किसी कारण से असमर्थ हैं, तो षटतिला एकादशी की कथा ज़रूर सुनें या पढ़ें।

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Shattila Ekadashi Vrat 2024: भगवान विष्णु की इस कथा के बिना अधूरा है षटतिला एकादशी का व्रत, ये कथा पढ़ने से घर में होगी धन की बरसा

भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने वाले षटतिला एकादशी व्रत की कथा

अन्यथा आपका व्रत अधूरा माना जाएगा और इसका शुभ फल आपको प्राप्त नहीं होगा। पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है, काशी नगर में एक गरीब अहीर निवास करता था। वह अपने परिवार का पालन-पोषण लकड़ी काटकर और बेचकर करता था। जब उसकी लकड़ियां नहीं बिकती थीं, तो वह और उसका परिवार भूखे पेट रहते थे। एक दिन वह साहूकार के पास लकड़ी बेचने गया। वह देखा कि साहूकार के घर में एक त्योहार की तैयारी चल रही है।

Shattila Ekadashi Vrat 2024: भगवान विष्णु की इस कथा के बिना अधूरा है षटतिला एकादशी का व्रत, ये कथा पढ़ने से घर में होगी धन की बरसा

इसके बारे में जानने की ख्वाहिश में उसने साहूकार से पूछा, जिस पर साहूकार ने उसे बताया कि आज षटतिला एकादशी का व्रत है। सेठ ने बताया कि यह व्रत बहुत पुण्यदायी है और इसे रखने से गरीबी, संसार के सभी कष्टों, रोग, पाप आदि समाप्त होते हैं। उसने विवरण सुनकर अहीर ने घर लौटकर अपनी पत्नी को इस व्रत के महत्व के बारे में बताया। फिर उन्होंने इसे ध्यानपूर्वक मानने और व्रत रखने का निर्णय किया। उनकी भक्ति और परिश्रम से भगवान नारायण की कृपा होती है, जिससे उनकी धन संपत्ति बढ़ती है और वे सुखी जीवन जीते हैं।

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