Atal Bihari Vajpayee Jayanti: अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर जानिए कैसे देश की मुश्किल घड़ी में भी अपने मजबूत इरादों के साथ डटे रहे ‘अटल’ भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म-जयंती (25 दिसंबर) के अवसर पर उनको देशभर में श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी। आज अटल बिहारी वाजपेयी की 99वीं जयंती है। भाजपा ने देशभर के मुख्यालयों में श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। आने वाले वर्ष, 2024 में, जब उनकी जन्मशताब्दी होगी, तो यह वर्ष विशेष रूप से महत्वपूर्ण होगा।
Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary
जयंती के अवसर पर शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अटल स्मारक में श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसे कई उच्च स्तरीय नेता भी उपस्थित होकर वाजपेयी को श्रद्धांजलि देंगे। सदैव अटल स्मारक को भी सजाया गया है और सुरक्षा की भी विशेष प्रावधान की गई है। अटल बिहारी वाजपेयी ने केंद्रीय सरकार की सत्ता में रहते हुए कई चुनौतियों का सामना किया। चाहे वह पोखरण में परमाणु परीक्षण के बाद हो या देश पर पाबंदियों के बाद, अथवा कारगिल में पाकिस्तान से मिला धोखा हो, अटल वाजपेयी ने हर मुसीबत का सामना किया।
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ना विचलित, ना भयभीत, भारत मां की सेवा में जिसने जीवन किया व्यतीत…वो रहे अटल, वो थे सदैव अटल!
— BJP (@BJP4India) December 25, 2023
मां भारती के सच्चे सपूत और करोड़ों भाजपा कार्यकर्ताओं के पथ प्रदर्शक पूर्व प्रधानमंत्री 'भारत रत्न' श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती पर शत-शत नमन। pic.twitter.com/lptjRCNcFc
Atal Bihari Vajpayee ने कराया पोखरण परमाणु परीक्षण
उनकी सरकार ने 13 मई, 1998 को पोखरण में पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण किए और भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित किया। इसके परिणामस्वरूप, वे भारत को दुनिया में मजबूत वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करने में सफल रहे। इस सभी कार्रवाई को इतनी गोपनीयता से किया गया कि पश्चिमी देशों को इसकी भनक तक नहीं लगी, जिन्होंने उच्चतम स्तर की जासूसी तकनीक का उपयोग किया था। इसके बाद, पश्चिमी देशों ने कई प्रतिबंध लगाए, लेकिन वाजपेयी सरकार ने उन्हें पार करते हुए आर्थिक विकास में उच्चतम ऊंचाइयों को छुआ।
कारगिल युद्ध के समय थे Atal Bihari Vajpayee
जब पाकिस्तान से धोखा मिला, अटल सरकार ने धैर्य और ठोस कार्रवाई करके भारतीय क्षेत्र को सुरक्षित करने में सफलता प्राप्त की। इसके पश्चात, पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारे और समाप्त हो गए। विमान अपहरण के समय, जब आतंकी विमान ने इंडियन एयरलाइंस की उड़ान संख्या आईसी 814 को अपहरण किया, अटल सरकार ने सुरक्षा को लेकर ठोस कदम उठाए और आतंकियों को मुक्त करने के लिए संघर्ष किया। इसके बाद, कुछ आतंकियों को छोड़ने के बजाय, उन्हें पाकिस्तान ले गए। इस निर्णय की आज भी आलोचना होती है।
Atal Bihari Vajpayee के समय हुआ संसद पर हमला
2001 के 13 दिसंबर को, पाकिस्तान परस्त पंज आतंकी समूह ने संसद पर एक हमला किया। सुरक्षाबलों ने उन पांचों आतंकियों को मार गिराया। हालांकि, हमले में दिल्ली पुलिस के 6 जवान और अर्धसैनिक बल के 2 जवान शहीद हो गए, जबकि एक माली की मौत हो गई। हमले का जिम्मेदार लश्कर-ए-तईबा और जैश-ए-मोहम्मद था। इसके परंतु, इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा। अटल सरकार ने पंजाब, राजस्थान, गुजरात, और कश्मीर सीमा पर सेना के पांच लाख सैनिकों को तैनात किया।
गुजरात दंगे Atal Bihari Vajpayee
फरवरी 2002 में, गोधरा कांड के बाद, गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों में 1,000 से अधिक हिंदू-मुस्लिमों की मौत हुई। सैकड़ों लोग घायल और लापता हो गए। उस समय, अटल जी ने दंगों की कड़ी निंदा की और उन्होंने गुजरात दौरे के दौरान तब के गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी से राजधर्म निभाने की सलाह दी। तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन ने वाजपेयी सरकार पर दंगों को रोकने में नाकाम रहने का आरोप भी लगाया था।
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