अनिरुद्धाचार्य VS अखिलेश यादव विवाद: अनिरुद्धाचार्य के बयान पर भड़कीं सपा सांसद प्रिया सरोज, सोशल मीडिया पर बयानबाज़ी तेज़। उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर गर्मी बढ़ गई है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के बीच करीब ढाई साल पहले हुई बातचीत का वीडियो हाल ही में सोशल मीडिया पर फिर से वायरल हो गया है। इस वीडियो ने न सिर्फ राजनीतिक हलकों में चर्चा को जन्म दिया, बल्कि अब सपा की मछलीशहर से सांसद प्रिया सरोज की प्रतिक्रिया ने इस बहस को और भी गहरा बना दिया है।
दरअसल, सांसद प्रिया सरोज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट करते हुए अनिरुद्धाचार्य महाराज की एक फोटो शेयर की और उन पर तीखा तंज कसा। उन्होंने लिखा,
“जब कोई बाबा भगवान कृष्ण का नाम तक सही से नहीं बता पाते, तब वे सपा प्रमुख के बयानों को हिंदू-मुस्लिम रंग देकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश करते हैं। क्या यही प्रवचन में सिखाया जाता है?”
इस पोस्ट के सामने आते ही सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। कुछ लोगों ने सांसद के बयान को सच्चाई की आवाज़ बताया, वहीं कुछ यूज़र्स ने इसे धार्मिक गुरुओं के खिलाफ बयान कहकर निंदा की।

क्या है पूरा मामला?
करीब ढाई साल पहले आगरा एक्सप्रेसवे पर अखिलेश यादव और अनिरुद्धाचार्य महाराज के बीच एक बातचीत हुई थी, जिसका वीडियो अब वायरल हो रहा है। इस चर्चा में दोनों के बीच विचारों का स्पष्ट मतभेद देखने को मिला।
बातचीत के दौरान अखिलेश यादव ने अनिरुद्धाचार्य से एक सवाल पूछा –
“भगवान श्रीकृष्ण का सबसे पहला नाम क्या था?”
अनिरुद्धाचार्य ने जवाब दिया – “वासुदेव नंदन”।
अखिलेश ने फिर सवाल किया – “जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, तब उनकी मां ने उनका क्या नाम रखा?”
इस पर अनिरुद्धाचार्य बोले – “उनके कई नाम हैं।”
इस सवाल-जवाब के बाद अखिलेश यादव ने स्पष्ट कहा –
“आपका रास्ता अलग है और मेरा रास्ता अलग।”
इस पूरी बातचीत को लेकर सोशल मीडिया पर एक नई बहस छिड़ गई है, और इसी बहस के बीच प्रिया सरोज का बयान सामने आया, जिसने आग में घी डालने का काम किया।
सांसद का बयान – धर्म के नाम पर बंटवारे की साज़िश?
प्रिया सरोज ने अपने पोस्ट में यह भी इशारा किया कि धार्मिक मंचों से समाज में विभाजन फैलाने की बातें की जा रही हैं, जो कि देश की एकता और लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सांसद का यह बयान अनिरुद्धाचार्य पर सीधा हमला है, जो कि समाजवादी पार्टी की ओर से एक कड़ा संदेश भी हो सकता है।

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सोशल मीडिया पर बंट गए लोग
इस मुद्दे पर सोशल मीडिया दो धड़ों में बंट गया है –
- एक ओर वे लोग हैं जो मानते हैं कि सांसद ने सही सवाल उठाया, और बाबाओं को भी जवाबदेह होना चाहिए।
- दूसरी ओर कुछ लोग मानते हैं कि धार्मिक गुरुओं के खिलाफ इस तरह की टिप्पणी नहीं होनी चाहिए।
अनिरुद्धाचार्य VS अखिलेश यादव विवाद
यह मामला अब सिर्फ एक पुराने वीडियो या सोशल मीडिया पोस्ट तक सीमित नहीं रह गया है। यह देश की राजनीति, धर्म और सामाजिक सौहार्द के बीच खिंची एक नाज़ुक रेखा को दर्शाता है।
अब देखना होगा कि समाजवादी पार्टी और अनिरुद्धाचार्य के समर्थक इस मुद्दे को आगे कैसे ले जाते हैं, और क्या यह विवाद किसी बड़ी राजनीतिक बहस का रूप लेता है।