Advocate Fali S Nariman Unknown Facts: देशहित के लिए इंदिरा गांधी सरकार से टकराने वाले वकील फली एस नरीमन कौन थे ? देश के उप्रेतिष्ठित वकील फली एस नरीमन का आज निधन हो गया। वह 95 साल के थे। नरीमन ने 70 साल तक अपना वकालत का कार्य किया था। उन्होंने अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत बॉम्बे हाईकोर्ट से की थी। इंदिरा गांधी के आपातकाल के विरोध में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
देश के प्रमुख संविधान विशेषज्ञ और कानूनविद Fali S Nariman का बुधवार को निधन हो गया। वह 95 साल के थे। उन्होंने लगभग 75 साल तक वकालत की प्रैक्टिस की थी और इस अवधि में कई महत्वपूर्ण मामलों में शामिल हुए। इंदिरा गांधी के काल में उन्हें अडिशनल सॉलिसिटर जनरल का पद भी सौंपा गया था, लेकिन इमर्जेंसी के दौरान उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपनी किताब में लिखा था कि वह सुलभ भारत में अंतिम सांस लेना चाहेंगे।
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70 साल से ज्यादा की वकालत
संवैधानिक मामलों के अग्रणी वकील फली एस नरीमन (Fali S Nariman) ने सुप्रीम कोर्ट में अपने 70 वर्षों से अधिक के वकालत के करियर में कई महत्वपूर्ण मामलों में कार्यवाही की। उनमें जजों की नियुक्ति के लिए बनाए गए एनजेएसी मामला, एओआर असोसिएशन मामला, टीएमए पाई मामला (अनुच्छेद- 30 के तहत अल्पसंख्यक अधिकारों का मामला), आदि शामिल है। नरीमन को मई 1972 में भारत का अडिशनल सॉलिसिटर जनरल बनाया गया था लेकिन इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में इमरजेंसी लगाए जाने के बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था।

लाहौटी के गुरु थे Fali S Nariman
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और 50 वर्षों से प्रैक्टिस करने वाले एमएल लाहौटी बताते हैं कि Fali S Nariman मौजूदा समय में सबसे बड़े कानूनी विशेषज्ञ और संविधान विद थे। मौजूदा समय में सोली सोरावजी और फली एस नरीमन के बाद ही किसी का नाम लिया जाता है। फली के बेटे रोहिंटन नरीमन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस होकर रिटायर हो चुके हैं। लाहौटी बताते हैं कि फली एस नरीमन को वह गुरु मानते थे। उनसे उन्होंने वकालत की बारीकी सीखी और यह भी सीखा कि कैसे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अपने को पेश किया जाता है।

Advocate Fali S Nariman Unknown Facts
न्यायपालिका की स्वतंत्रता के पक्ष में खड़ी थीं फली एस नरीमन। उन्होंने सुनाया कि फली नरीमन को सुनवाई के दौरान एक समा बांध देते थे। उन्होंने हमेशा यह बताया कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने की आवश्यकता है। साथ ही, उन्होंने सिविल लिबर्टी और सेक्युलरिज्म को भी महत्व दिया। उन्हें (Fali S Nariman) किसी के दबाव में नहीं रहना पसंद था। वे वकील नहीं, बल्कि बेहतरीन इंसान भी थे। उनकी फीस निश्चित थी और उनके विचार बहुत ही समझदार थे।
उनकी आत्मकथा और उनके मनोबल से लोगों को प्रेरित किया गया। फली एस नरीमन (Fali S Nariman) की रिटायरमेंट के बाद, उनकी जगह को भरना मुश्किल है। फली एस नरीमन ने 1955 में बॉम्बे हाई कोर्ट में वॉक्स की शुरुआत की और बाद में सुप्रीम कोर्ट में वॉक्स की शुरुआत की। उन्हें भारत सरकार ने 1991 में पद्मभूषण और 2007 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया था। उन्हें 1999 से 2005 तक महासचिव के रूप में भी नामित किया गया था।