ISRO ने सूर्य पर लहराया तिरंगा! अपनी मंजिल ‘लैग्रेंज प्वाइंट-1’ पर पहुंचा Aditya-L1

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ISRO ने सूर्य पर लहराया तिरंगा! अपनी मंजिल 'लैग्रेंज प्वाइंट-1' पर पहुंचा Aditya-L1
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Aditya-L1: ISRO ने सूर्य पर लहराया तिरंगा! अपनी मंजिल ‘लैग्रेंज प्वाइंट-1’ पर पहुंचा Aditya-L1, चांद पर उतरने के बाद, भारत ने एक और ऐतिहासिक क्षण दर्ज किया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की अद्वितीय मिशन, सूर्य मिशन, के द्वारा उत्कृष्टता की ऊंचाइयों को छूने में सफलता प्राप्त हुई है। इसरो के आदित्य एल-1 ने अपने गन्तव्य, लैग्रेंज प्वाइंट-1 (L1), पर पहुंचकर एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। इसके साथ ही, आदित्य-एल 1 ने अंतिम स्टेज में भी अपनी स्थापना की है।

यहां, आदित्य दो वर्षों तक सूर्य का अध्ययन करेगा और महत्वपूर्ण आंकड़े एकत्र करेगा। इस पहले सूर्य अध्ययन मिशन को इसरो ने 2 सितंबर को लॉन्च किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस महत्वपूर्ण क्षण पर एक ट्वीट किया है। उन्होंने इसरो की सफलता की बधाई दी और ट्वीट किया, “भारत ने एक और मील का पत्थर हासिल किया है। आदित्य-एल 1 ने भारत की पहली सौर वेधशाला को उसके लक्ष्य तक पहुंचाया है। इससे हमारे वैज्ञानिकों का अद्वितीय समर्पण और संघर्ष प्रत्यक्ष हो रहा है। यह समर्थन करने लायक है कि यह एक असाधारण प्रदर्शन है।

ISRO ने सूर्य पर लहराया तिरंगा! अपनी मंजिल 'लैग्रेंज प्वाइंट-1' पर पहुंचा Aditya-L1

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सूर्य पर पहुँच गया Aditya-L1

हम विज्ञान की नई ऊँचाइयों की ओर बढ़ने का संकल्प रखते हैं जो मानवता के लाभ के लिए होगा। वे आगे बढ़कर देश के साथ हैं और इस अत्यद्भुत क्षण की सराहना कर रहे हैं। एल-1 पॉइंट को ‘हेलियोसेंट्रिक लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर’ भी कहा जाता है और इसे ‘हेलो ऑर्बिट’ के रूप में भी जाना जाता है, जो सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के पांच स्थानों में से एक है। यहां, दोनों पिंडों के बीच गुरुत्वाकर्षण प्रभाव में साम्यता है, और इसे मोटे तौर पर वे स्थान कहा जाता है जहां दोनों पिंडों की गुरुत्व शक्ति एक दूसरे के प्रति संतुलन साधती है।

उत्साह से देख रही दुनिया

इन पांच स्थानों पर, जो कि सूर्य और पृथ्वी के बीच हैं, स्थिरता होती है, जिससे यहां की वस्तुएं सूर्य या पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में नहीं फंसती हैं। एल-1 बिंदु पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है, जिसका मतलब है कि इसका केवल 1 फीसदी भी नहीं है कि पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का। यहां, दोनों पिंडों की कुल दूरी 14.96 करोड़ किलोमीटर है। इस विद्वान के अनुसार, जो इसरो का है, हेलो ऑर्बिट सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के साथ-साथ घूमेगा। इसरो के इस अद्भुत परियान्त्र को वैश्विक समुदाय उत्सुकता भर देख रहा है, क्योंकि इसके सात पेलोड सौर घटनाओं का विस्तृत अध्ययन करेंगे।

ISRO ने सूर्य पर लहराया तिरंगा! अपनी मंजिल 'लैग्रेंज प्वाइंट-1' पर पहुंचा Aditya-L1

ISRO ने लहराया जीत का परचम Aditya-L1

वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को डेटा प्रदान करेंगे, जिससे सभी सूर्य के प्रकाश, कणों और चुंबकीय क्षेत्रों का अध्ययन करने में समर्थ होंगे। अंतरिक्ष यान में एक कोरोनोग्राफ है, जो वैज्ञानिकों को सूर्य की सतह के बहुत करीब देखने और नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सौर और हेलिओस्फेरिक वेधशाला (एसओएचओ) मिशन के डेटा को पूरक बनाए रखने का कारण है। क्योंकि, आदित्य एल-1 अपनी स्थिति में एकमात्र वेधशाला है। 18 सितंबर से काम शुरू हुआ शुक्रवार को आदित्य एल-1 का अंतरिक्ष में यात्रा करने का कार्य 126 दिन पूरे हो गए हैं।

अपनी यात्रा की शुरुआत के 16 दिन बाद, अर्थात 18 सितंबर से, आदित्य ने वैज्ञानिक डेटा एकत्र करना शुरू किया और सूर्य की छवियाँ बनाना आरंभ किया था। वैज्ञानिकों को अब तक एल-1 से सौर ज्वालाओं के हाई-एनर्जी एक्स-रे, पूर्ण सौर डिस्क की छवियाँ मिल चुकी हैं। पीएपीए और एएसपीईएक्स के सोलर विंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर सहित चार उपकरण वर्तमान में सक्रिय हैं और यथासंभाव कर रहे हैं। हेलो आर्बिट में पहुंचने के बाद, सूईट पेलोड सबसे पहले सक्रिय होगा।

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