Ram Mandir Ayodhya: रामलला के स्वागत में सजी पूरी अयोध्या! देखिए रंग-बिरंगे फूलों और आकर्षक लाइटिंग के द्वारा अंदर से कैसा सजा भव्य श्रीराम मंदिर। सदियों के इंतजार के बाद वह समय आया है जब दुनियाभर में करोड़ों रामभक्त अपने प्रभु के दर्शन के लिए भव्य राम मंदिर में यात्रा कर सकेंगे। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर का सबसे सुखद समय शुरू होगा, जिसमें मंदिर खासकर आम लोगों के लिए खुल जाएगा और किसी भी व्यक्ति को अपने प्रभु के साक्षात्कार का आनंद लेने का अवसर मिलेगा।
सोमवार को, देशभर में लोगों से राम ज्योति जलाने के लिए एक आमंत्रण जारी किया गया है। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए, मंदिर को अंदर से बहुत ही भव्य रूप में सजाया गया है, और वहां आने वाले भक्तों को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करने के लिए पूरी तरह से तैयार किया गया है। मंदिर को फूलों से सजाया गया है और विभिन्न प्रकार के प्रकाश व्यवस्थाएं दर्शनीयता को बढ़ा रही हैं। आंतरिक और बाहरी सजावट के लिए एक शानदार प्रकाश प्रणाली लगाई गई है। कहा जा रहा है कि प्राण प्रतिष्ठा के दिन मंदिर की सुंदरता अपने शीर्ष पर होगी। आंतरिक क्षेत्र को फूलों और प्रकाश से सजाया गया है।

अंदर से कैसा सजा Ram Mandir Ayodhya
मुख्य द्वार का एक दृश्य। मंदिर में नियमित रूप से आयोजित अनुष्ठानों का दृश्य। राम मंदिर का अंदर का दृश्य। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए सजीव किया गया राम मंदिर। 22 जनवरी को, अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। इस अवसर पर अयोध्या नगरी को एक अत्यंत आलौकिक सौंदर्य से सजाया जा रहा है, जिसकी दृश्य और छवियाँ देखकर आपका चित्त आश्चर्यमय हो जाएगा। इस समय, राम मंदिर ही नहीं, बल्कि पूरे अयोध्या नगर की अद्वितीय सुंदरता में एक निराला अभास है। यह समय है जब अयोध्या नगरी की शोभा और रौंगत ऐसी हैं कि स्वर्ग के देवता भी रामलला के दर्शन के लिए बिना आना नहीं रोक पाएंगे।

हम आइए इस समय की अयोध्या नगरी की लाइव तस्वीरें देखें और राम भक्ति में विभ्रमित हो जाएं। प्रभु राम के पादों में केवट भक्ति भाव से रमित था। उन्होंने प्रभु की अद्वितीय महिमा को समझा हुआ था और उनसे यह कहा कि अगर प्रभु, मेरी नाव को कन्या में परिणामित कर दें, तो मेरी जीविका का क्या होगा? क्योंकि आपने तो चरण स्पर्श से ही पत्थर को भी कन्या में बदल दिया था। केवट ने प्रभु के चरणों को रज से धोकर देवी अहिल्या के उद्धार का कारण बताते हुए उनका पूजन किया।