Vinesh Phogat: साधारण लड़की से लेकर पहलवानी और धरना-प्रदर्शन तक खेल रत्न अवॉर्ड लौटाने वालीं Vinesh Phogat ने कैसे तय कियादेश के लिए मेडल जीतने का सफर। 25 अगस्त 1994 को, हरियाणा के बलाली गांव में विनेश फोगाट का जन्म हुआ था। विनेश भारत के प्रमुख कुश्ती परिवार में पैदा हुए थे। उनके ताऊ, महावीर सिंह ने फोगाट बहनों को बहुत छोटी आयु में ही कुश्ती के साथ मिलवा दिया था। भारतीय पहलवान विनेश फोगाट ने मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार की वापसी की घोषणा की है। उन्होंने साथ ही अपने दो अर्जुन पुरस्कारों को भी सरकार को वापस करने का निर्धारण किया है।
विनेश ने भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना-प्रदर्शन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं, जिससे वह बेहतरीन भारतीय खिलाड़ियों में से एक बन गई हैं। उन्होंने तीन राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता है, जिससे वह एकमात्र भारतीय महिला पहलवान बनी हैं। विनेश ने बड़े-बड़े टूर्नामेंटों में भारत का नाम रोशन किया है, जैसे कि राष्ट्रमंडल खेल, एशियाई खेल, विश्व चैम्पियनशिप, और एशियाई चैम्पियनशिप। उन्होंने खेल के प्रति अपने समर्पण के लिए पहचान बनाई है। इस साल 18 जनवरी को, जब वह पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठीं, तो पूरा देश उनके साथ था।
Vinesh Phogat को दिए गए इतने पुरस्कार
महिला खिलाड़ियों ने बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था, जिससे मामले में गहराई आ गई और बृजभूषण को अपनी कुर्सी गवा नी पड़ी। संजय सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद, विनेश की साथी पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ने का निर्णय लिया। उसके बाद, बजरंग पूनिया ने पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त किया और पैरा पहलवान वीरेंद्र सिंह (गूंगा पहलवान) ने भी पद्मश्री प्राप्त करने की बात की। इसके बाद, खेल मंत्रालय ने भारतीय कुश्ती संघ को निलंबित कर दिया। इसके बाद बृजभूषण ने कुश्ती से संन्यास लेने का सुझाव दिया, लेकिन खिलाड़ियों को इससे संतुष्टि नहीं है। उनका कहना है कि न्याय अब तक नहीं मिला है,
पढ़िए Vinesh Phogat के संघर्ष की कहानी
इसलिए विनेश ने अब खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार लौटाने का निर्णय किया है। 1994 के 25 अगस्त को हरियाणा के बलाली गांव में विनेश फोगाट का जन्म हुआ था। विनेश फोगाट का जन्म एक प्रसिद्ध कुश्ती परिवार में हुआ था, और उनके ताऊ महावीर सिंह ने बहनों को बचपन से ही कुश्ती के साथ परिचित कराया था। विनेश का पिता नौ साल की आयु में अचानक निधन हो गया था, लेकिन उनके ताऊ ने इस मुश्किल में भी उन्हें कुश्ती का साहस दिखाया और उन्हें खुद सिखाना शुरू किया।
Vinesh Phogat ऐसे बनी लड़कियों की आदर्श
विनेश ने मुश्किल ट्रेनिंग की विनेश के लिए प्रैक्टिस का समय सुबह साढ़े तीन बजे का था, और उन्होंने बचपन से ही बिना रुके कुश्ती में अपनी कड़ी मेहनत की। वह गलतियों पर मार भी खाती थी, पर इसके बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। ट्रेनिंग के बाद, उन्हें स्कूल भी जाना पड़ता था, लेकिन उनकी थकान के चलते कभी-कभी वह क्लासरूम में सो जाती थीं। उन्हें बाल लंबे नहीं रखने दिए जाते थे, क्योंकि उनके ताऊ जी को लगता था कि लंबे बाल ध्यान भटका सकते हैं, लेकिन विनेश ने इस मेहनत और संघर्ष के बावजूद खुद को सबित किया और अपने सपनों की ऊँचाइयों को छूने का सफल प्रयास किया।