Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया समलैंगिक विवाह पर फैसला! विरोध में क्यों खड़ी मोदी सरकार?

mpexpress09

Updated on:

Same Sex Marriage: आज सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा समलैंगिक विवाह पर अपना फैसला! विरोध में क्यों खड़ी मोदी सरकार?
WhatsApp Group Join Now

Supreme Court:आज सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा समलैंगिक विवाह पर अपना फैसला! विरोध में क्यों खड़ी मोदी सरकार? सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के मांग को लेकर एक महत्वपूर्ण सुनवाई आयोजित की है। यह आपत्ति का मुद्दा भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण और विवादित मुद्दा है, और इसका समाधान सुप्रीम कोर्ट के फैसले के माध्यम से होगा।

यह भी पढ़े :- Canada-India: भारत के सामने नरम पड़े जस्टिन ट्रूडो के तेवर!  

समलैंगिक विवाह के बारे में जानकारी: समलैंगिक विवाह, यानी दो व्यक्तियों के बीच जो एक ही लिंग के हैं, के विवाह को अधिकांश देशों में कानूनी रूप से मान्यता दी जाती है। यह एक मानवीय अधिकार का मुद्दा है और विभिन्न देशों में यह कानूनों और सामाजिक मान्यता के आधार पर विभिन्न तरीकों से देखा गया है।

Same-Sex Marriage: सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया समलैंगिक विवाह पर फैसला! विरोध में क्यों खड़ी मोदी सरकार?

समलैंगिक विवाह के लिए सुनवाई 10 दिन तक चली

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता की मांग पर मंगलवार को फैसला सुनाएगी। इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकता है और समाज में बदलाव ला सकता है. इस मुद्दे पर फैसला सुनवाई के लिए 10 दिन तक चली, और 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस फैसले की प्रतीक्षा कई लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण दौर में है, और यह समलैंगिक अधिकारों की सबसे बड़ी मांगों में से एक के प्रति हमारे समाज की दृष्टि को बदल सकता है.

समलैंगिक शादी के बारे में एक सबसे बड़ी आवश्यकता है – समझने की, और इसे स्वीकारने की. यह एक समय था, जब समलैंगिक संबंधों को समाज में गैर-स्वाभाविक माना जाता था और उन्हें समाज में बदलाव लाने के लिए जूनूनी लोगों के अधिकार भी स्वीकार नहीं किए जाते थे. लेकिन समय ने बदलाव लाया है, और अब समलैंगिक सम्बंध और शादी के अधिकार को उन्हें दिए जाने की तरफ एक महत्वपूर्ण कदम है.

समलैंगिक विवाह के कानूनी मामले को लेकर विभिन्न दृष्टिकोण हैं, और इस पर होने वाले फैसले का महत्वपूर्ण है. विरोधकों का कहना है कि समलैंगिक शादी संस्कृति और धार्मिक मूल्यों के खिलाफ है, और इसकी स्वीकृति समाज में अधिक विभाजन ला सकती है. विशेषकर भारतीय समाज में, जो परंपरागत धार्मिक मूल्यों को महत्व देता है, यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है.

Same-Sex Marriage: सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया समलैंगिक विवाह पर फैसला! विरोध में क्यों खड़ी मोदी सरकार?

20 याचिकाएं को दाखिल किया सुप्रीम कोर्ट ने

सुप्रीम कोर्ट में 20 याचिकाएं हैं, जिनमें समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता दिए जाने की मांग की गई है। यह ऐतिहासिक मामला एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जो समलैंगिक समुदाय के अधिकारों को लेकर एक नई मुद्दा उत्पन्न कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट के पास इस मुद्दे पर फैसला करने का बड़ा जिम्मेदारी है, और इसके परिणामस्वरूप हमारे समाज में बड़े परिवर्तन की संभावना है. यह मामला अपने प्रथम चरण में ही गहराई से विचार किया गया था, जब प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, एस रवींद्र भट, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने मामले पर सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रख लिया था.

इस समय यह याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के सुनवाई के बयान के आधार पर अद्यतन हो रही हैं.समलैंगिक समुदाय के अधिकारों के बारे में एक दशक से ज्यादा समय से चर्चा हो रही है. सन 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को खारिज कर दिया, जिससे समलैंगिक संबंधों को अवैध नहीं माना जाता है. इसके बाद, कई राज्यों ने समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता दी है, लेकिन अभी भी यह मामला एक देशभर में सामाजिक और कानूनी विवादों का कारण बना हुआ है.

Same Sex Marriage: आज सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा समलैंगिक विवाह पर अपना फैसला! विरोध में क्यों खड़ी मोदी सरकार?

तुषार मेहता का क्या रहा जबाब सुप्रीम कोर्ट के सवाल पर

मेहता ने कहा था कि इस मामले में एक से ज्यादा मंत्रालय के समन्वय की आवश्यकता होगी। इसलिए केंद्र सरकार कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित करेगी। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग का विरोध किया था.

समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर सार्वजनिक चर्चा के बाद, एक समिति की गठन का निर्णय बड़े महत्वपूर्ण है, जिसमें विभिन्न मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. यह समिति इस महत्वपूर्ण मुद्दे को विशेषज्ञता और सामर्थ्य के साथ देखेगी, ताकि सही और विचारशील निर्णय लिया जा सके.

कुछ सालों पहले के मुद्दे में जारी विवाद और उसकी कानूनी मान्यता के पक्ष में आवाज बढ़ चुकी है. बहुत से समलैंगिक युगायुक्त जोड़े अपने सम्बंधों को कानूनी और सामाजिक स्वीकृति के साथ बनाने की अधिक मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि वे भी उनीति के अधिकारों का उपयोग करने का अधिकार रखते हैं, जैसा कि अन्य नागरिकों को होता है.

Same Sex Marriage: आज सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा समलैंगिक विवाह पर अपना फैसला! विरोध में क्यों खड़ी मोदी सरकार?

समलैंगिक विवाह पर क्या कहा केंद्र सरकार ने?

केंद्र सरकार ने कहा था कि भारत की परंपरागत विधायी नीति में परंपरागत पुरुष और परंपरागत महिला को मान्यता दी गई है। सभी भारतीय कानूनों में पुरुष और महिला को परंपरागत समझ में परिभाषित किया गया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि जब इस पर पहली बार बहस हो रही है तो क्या इसे पहले संसद या राज्य विधानसभाओं में नहीं जाना चाहिए? उन्होंने कहा कि अब इन चीजों को लेकर किसी तरह का कलंक नहीं जुड़ा है। संसद ने इनके अधिकारों, पसंद, निजता और स्वायत्तता को स्वीकार किया है।

1 thought on “Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया समलैंगिक विवाह पर फैसला! विरोध में क्यों खड़ी मोदी सरकार?”

Leave a Comment