अब नहीं चलेगी BLO की मनमानी!! जानिए बिना नोटिस वोटर लिस्ट से नाम काटने पर चुनाव आयोग के नए नियम

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अब नहीं चलेगी BLO की मनमानी!! जानिए बिना नोटिस वोटर लिस्ट से नाम काटने पर चुनाव आयोग के नए नियम
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चुनाव आयोग, ECI Rule For Voter List Remove Name: बिहार में चल रही वोटर लिस्ट रिवीजन प्रक्रिया के दौरान उठे विवादों के बीच चुनाव आयोग ने साफ किया – बिना नोटिस किसी मतदाता का नाम हटाना अब संभव नहीं। भारत के लोकतंत्र में मतदान का अधिकार एक बुनियादी स्तंभ है। ऐसे में अगर किसी नागरिक का नाम अचानक वोटर लिस्ट से गायब हो जाए, तो ये न सिर्फ चिंता का विषय बनता है, बल्कि चुनाव की पारदर्शिता पर भी सवाल उठते हैं।

बिहार में हाल ही में चल रही मतदाता सूची सुधार प्रक्रिया के दौरान यही मुद्दा सामने आया, जब कई लोगों ने आरोप लगाया कि उनके नाम बिना सूचना के लिस्ट से हटा दिए गए। इसी को लेकर चुनाव आयोग (Election Commission of India – ECI) ने स्पष्ट किया कि अब किसी भी नागरिक का नाम बिना पूर्व नोटिस के वोटर लिस्ट से नहीं हटाया जाएगा।


बिहार में वोटर लिस्ट का विशेष पुनरीक्षण क्या है?

बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया (Special Intensive Revision – SIR) शुरू की है। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य है कि राज्य की वोटर लिस्ट से फर्जी, दोहराए गए या मृत मतदाताओं को हटाया जाए और योग्य नागरिकों का नाम जोड़ा जाए।

हालांकि इस प्रक्रिया के दौरान कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि बिना किसी सूचना के उनके नाम लिस्ट से हटा दिए गए हैं। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाते हुए कहा कि इससे लाखों योग्य मतदाताओं को मतदान से वंचित किया जा सकता है।

अब नहीं चलेगी BLO की मनमानी!! जानिए बिना नोटिस वोटर लिस्ट से नाम काटने पर चुनाव आयोग के नए नियम

क्या अब बिना नोटिस नाम हटाया जा सकता है?

नहीं। चुनाव आयोग ने 28 जुलाई, रविवार को स्पष्ट रूप से यह कहा कि बिना नोटिस के किसी भी मतदाता का नाम वोटर लिस्ट से नहीं हटाया जाएगा। यदि किसी मतदाता का नाम हटाना है, तो पहले निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी (ERO) या सहायक निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी (AERO) को उचित कारण के साथ नोटिस भेजना होगा।

मतलब यह कि आयोग ने एक न्यायिक प्रक्रिया तय की है, जिसमें मतदाता को अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा।


‘स्पीकिंग ऑर्डर’ क्या होता है और क्यों है ज़रूरी?

चुनाव आयोग के मुताबिक, किसी भी नागरिक का नाम लिस्ट से तभी हटाया जा सकता है जब संबंधित अधिकारी द्वारा एक ‘स्पीकिंग ऑर्डर’ जारी किया गया हो। यह आदेश न सिर्फ कारण बताता है, बल्कि उसमें स्पष्ट रूप से लिखा होता है कि किन तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर नाम हटाने का फैसला लिया गया।

‘स्पीकिंग ऑर्डर’ एक ट्रांसपेरेंट और जवाबदेह प्रक्रिया का हिस्सा है, जो यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति अन्यायपूर्ण तरीके से वोटर लिस्ट से बाहर न हो।


पहले क्या होता था?

यह सवाल वाजिब है कि अगर अब यह नियम लागू किया गया है, तो क्या पहले बिना सूचना नाम हटाया जा सकता था?

वास्तव में, पहले कई बार बीएलओ (Booth Level Officer) बिना पुख्ता जांच के या मनमर्जी से लोगों के नाम हटा देते थे। इस वजह से चुनाव के दौरान कई बार शिकायतें भी सामने आती थीं कि लोगों का नाम लिस्ट से गायब है। इससे न सिर्फ प्रशासन को दिक्कत होती थी, बल्कि मतदाताओं को भी अपने अधिकार से वंचित होना पड़ता था।

इन शिकायतों को देखते हुए चुनाव आयोग ने अब यह स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि बिना नोटिस और उचित प्रक्रिया के कोई भी नाम नहीं हटाया जाएगा।

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क्यों ज़रूरी है यह बदलाव?

  • लोकतंत्र की मजबूती: जब हर नागरिक को अपना वोट देने का अधिकार सुरक्षित महसूस हो, तभी लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होती हैं।
  • पारदर्शिता: यह प्रक्रिया वोटर लिस्ट को साफ-सुथरा बनाने की ओर एक कदम है, लेकिन इसमें पारदर्शिता का होना ज़रूरी है।
  • गलतफहमी से बचाव: कई बार पते में बदलाव, मृत्यु, या दोहरी प्रविष्टि जैसी स्थितियों में नाम हटाना जरूरी होता है, लेकिन अगर इसकी जानकारी मतदाता को दी जाए तो गलतफहमियों से बचा जा सकता है।
  • विश्वास बहाल करना: हाल के विवादों ने लोगों का चुनावी प्रक्रिया में विश्वास थोड़ा डगमगाया है, जिसे चुनाव आयोग सुधारने की कोशिश कर रहा है।

आम मतदाता क्या करें?

  1. अपने वोटर डिटेल्स चेक करेंhttps://voterportal.eci.gov.in या https://electoralsearch.in पर जाकर आप अपना नाम चेक कर सकते हैं।
  2. अगर नाम गायब है तो फॉर्म 6 भरें – ऑनलाइन या ऑफलाइन प्रक्रिया से आप अपना नाम दोबारा जोड़ सकते हैं।
  3. शिकायत दर्ज करें – अगर बिना नोटिस के नाम हटाया गया है, तो संबंधित ERO ऑफिस में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
  4. नोटिस आने पर जवाब जरूर दें – अगर आपको नोटिस मिलता है तो समय पर जवाब देकर अपना पक्ष रखें।

निष्कर्ष

बिहार में चल रही वोटर लिस्ट संशोधन प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य चुनाव को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाना है। लेकिन अगर इस प्रक्रिया में लोगों को बिना सूचना के ही सूची से हटा दिया जाए, तो यह जनतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ होगा। चुनाव आयोग ने अपने हालिया बयान में यह स्पष्ट कर दिया है कि अब बिना नोटिस और स्पीकिंग ऑर्डर के किसी का भी नाम नहीं हटेगा।

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