जिन्होंने अपनों को खोया…उन्हें अब भी न्याय का इंतजार!! 7/11 मुंबई धमाके केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

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जिन्होंने अपनों को खोया…उन्हें अब भी न्याय का इंतजार!! 7/11 मुंबई धमाके केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
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7/11 मुंबई धमाके : सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के 7/11 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा बरी किए गए 12 आरोपियों की दोबारा गिरफ्तारी से इंकार किया। जानिए कोर्ट के फैसले की पूरी जानकारी।


मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान: नहीं होगी 12 आरोपियों की दोबारा गिरफ्तारी

साल 2006 में हुए भीषण मुंबई लोकल ट्रेन धमाकों से जुड़ा एक बड़ा फैसला सुप्रीम कोर्ट से आया है। बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा 12 आरोपियों को बरी किए जाने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इन आरोपियों को फिर से गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

गुरुवार, 24 जुलाई 2025 को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर विचार करते हुए कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने जिन 12 लोगों को आरोपमुक्त किया है, उन्हें अब दोबारा हिरासत में लेने की कोई जरूरत नहीं है। हालांकि अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस निर्णय को अन्य मामलों के उदाहरण के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए।

सुनवाई की अध्यक्षता कर रही बेंच, जिसमें जस्टिस एम. एम. सुंदरेश और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह शामिल थे, ने कहा कि इस विशेष मामले का बाकी मामलों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, खासकर उन मामलों पर जो MACOCA (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) के अंतर्गत दर्ज हैं।

जिन्होंने अपनों को खोया…उन्हें अब भी न्याय का इंतजार!! 7/11 मुंबई धमाके केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

महाराष्ट्र सरकार की दलील और कोर्ट की प्रतिक्रिया

सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब सभी आरोपी पहले ही रिहा हो चुके हैं, तो अब उन्हें जेल भेजने का कोई औचित्य नहीं है।

साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि इस फैसले को भविष्य में किसी अन्य कानूनी मामले में उदाहरण न बनाया जाए। कोर्ट ने नोटिस जारी करने की बात कही और अन्य संबंधित पक्षों को भी सुनवाई में शामिल करने का संकेत दिया।


2006 में क्या हुआ था?

11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में एक के बाद एक कई बम धमाके हुए थे। इन हमलों में 180 से अधिक लोगों की जान गई थी और करीब 800 लोग घायल हुए थे। यह हमला देश के सबसे बड़े आतंकी हमलों में से एक माना जाता है।

2015 में विशेष अदालत का फैसला

लंबे समय तक चली सुनवाई के बाद, 2015 में एक विशेष अदालत ने MACOCA के तहत सुनवाई करते हुए पांच लोगों को फांसी और सात को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

फांसी की सजा पाए आरोपी:

  • कमाल अंसारी
  • मोहम्मद फैसल अतुर रहमान शेख
  • एहतशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी
  • नवीद हुसैन खान
  • आसिफ खान

बता दें कि कमाल अंसारी की 2021 में नागपुर जेल में कोविड-19 से मृत्यु हो गई थी।

उम्रकैद की सजा पाने वाले आरोपी:

  • तनवीर अहमद अंसारी
  • मोहम्मद माजिद शफी
  • शेख मोहम्मद अली आलम
  • मोहम्मद साजिद मरगुब अंसारी
  • मुजम्मिल अतुर रहमान शेख
  • सुहेल मेहमूद शेख
  • जमीर अहमद लतिफुर रहमान शेख
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हाईकोर्ट ने क्यों किया आरोपमुक्त?

21 जुलाई 2025 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि अभियोजन पक्ष इन पर लगे आरोपों को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा। कोर्ट ने कहा कि यह विश्वास करना कठिन है कि इन आरोपियों ने ही बम धमाके किए थे।

न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति श्याम चांडक ने कहा कि अभियोजन पक्ष धमाकों में उपयोग किए गए विस्फोटकों के प्रकार को भी सटीक रूप से रिकॉर्ड पर नहीं ला पाया, और जिन सबूतों का हवाला दिया गया था, वे दोष साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं थे।


7/11 मुंबई धमाके

7/11 मुंबई ट्रेन धमाकों में अब एक नया मोड़ आ गया है। सुप्रीम कोर्ट के इस रुख के बाद बरी किए गए 12 आरोपियों को दोबारा गिरफ्तारी का सामना नहीं करना पड़ेगा। हालांकि मामला अब भी सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है और सभी पक्षों को सुनने के बाद अंतिम फैसला आएगा।

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