Mumbai Train 11 जुलाई 2006 की वह भयावह शाम जब लोकल ट्रेनों को निशाना बनाकर सिलसिलेवार धमाके किए गए थे, अब एक बार फिर चर्चा में है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में सोमवार को एक चौंकाने वाला निर्णय सुनाया है, जिससे महाराष्ट्र सरकार और पीड़ित परिवारों को तगड़ा झटका लगा है।
15 साल बाद कोर्ट ने कहा – नहीं हैं पुख्ता सबूत
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन बम विस्फोट मामले में दोषी करार दिए गए सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए गवाहों और सबूतों से न्यायालय संतुष्ट नहीं हो पाया।
क्या हुआ था 11 जुलाई 2006 को?
मुंबई की सबसे व्यस्त लोकल ट्रेन नेटवर्क पर उस दिन शाम के व्यस्त समय में लगातार सात धमाके किए गए थे। इन बम धमाकों में 187 लोगों की जान गई थी और 800 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इस हमले में आरडीएक्स जैसे घातक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था और शक आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन पर जताया गया था।

सेशन कोर्ट ने सुनाई थी सजा
इस केस में 2015 में मुंबई की सेशन कोर्ट ने 15 में से 12 आरोपियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई थी। इनमें से 5 को फांसी की सजा और 7 को उम्रकैद दी गई थी। लेकिन अब हाईकोर्ट ने सबूतों की कमी के चलते सभी को रिहा करने का आदेश दिया है।
मामले की गंभीरता और सरकार की चिंता
यह फैसला न केवल महाराष्ट्र सरकार की आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की रणनीति पर सवाल खड़े करता है, बल्कि उन परिवारों के लिए भी निराशा लेकर आया है, जिन्होंने अपने अपनों को इस हमले में खोया। पीड़ित परिवार अब न्याय की आस में फिर से अदालत का रुख कर सकते हैं।
- 2006 मुंबई ट्रेन बम ब्लास्ट केस अपडेट
- बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
- सभी 12 आरोपी बरी
- सबूतों के अभाव में रिहाई
- 187 की मौत, 800 घायल
- आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई पर सवाल
- इंडियन मुजाहिद्दीन का नाम आया था सामने

यह भी पढ़ें- भक्ति राह में अड़चन बनी प्रकृति!! कटरा में भूस्खलन ने मचाया हाहाकार
Mumbai Train मामले में कोर्ट का फैसला
2006 का यह मामला भारतीय न्याय व्यवस्था, आतंकवाद विरोधी नीतियों और न्याय मिलने की प्रक्रिया को एक बार फिर से चर्चा के केंद्र में ले आया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी या नहीं।