RSS Ban Political Controversy Dhirendra Shastri Reaction: कर्नाटक सरकार में मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रियांक खरगे द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर प्रतिबंध लगाने की बात कहने के बाद देश की राजनीति में भूचाल सा आ गया है। बयान में उन्होंने साफ-साफ कहा कि अगर केंद्र में कांग्रेस सत्ता में आती है, तो संघ पर देशभर में कानूनी प्रक्रिया के तहत बैन लगाया जाएगा। इस बयान को लेकर तमाम प्रतिक्रियाएं आईं, लेकिन सबसे खास प्रतिक्रिया आई प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की ओर से।
🌐 प्रियांक खरगे का बयान – कांग्रेस की सत्ता आई तो संघ पर रोक लगेगी
हाल ही में एक प्रेस वार्ता के दौरान प्रियांक खरगे ने कहा कि “RSS देश को तोड़ने का काम करता है। नफरत और साम्प्रदायिकता फैलाना इसका एजेंडा है। जब संविधान को बदलने की बात होती है, जब समाज में जहर घोला जाता है, तो इसके पीछे RSS होता है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि “अगर कांग्रेस को फिर से सत्ता में आने का मौका मिला, तो हम RSS पर कानूनी आधार पर प्रतिबंध लगाएंगे।”
📢 धीरेंद्र शास्त्री की पहली प्रतिक्रिया – ‘यह राजनीति है, धर्म नहीं’
इस बयान के बाद जब बागेश्वर धाम सरकार से पत्रकारों ने उनकी राय पूछी, तो उन्होंने बड़ी ही सधी हुई प्रतिक्रिया दी। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा,
“यह राजनीतिक दलों के निजी विचार हो सकते हैं। हमारा काम धर्म और सनातन की रक्षा करना है। यह विषय धर्म से संबंधित नहीं है, इसलिए हम इस पर टिप्पणी नहीं करेंगे।”
उनकी इस टिप्पणी से यह स्पष्ट हो गया कि वे किसी भी राजनीतिक विवाद में सीधा शामिल नहीं होना चाहते, लेकिन उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से संघ के कार्यों की सराहना जरूर की।

🙏 संघ की भूमिका पर बागेश्वर धाम सरकार की सराहना
धीरेंद्र शास्त्री ने संघ के कार्यकर्ताओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में जबरन धर्मांतरण की घटनाओं पर रोक लगाने में RSS ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा, “संघ के कार्यकर्ताओं ने गांव-गांव जाकर हिंदू संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए जो कार्य किए हैं, वह सराहनीय हैं। यह सेवा कार्य अद्वितीय है।”
उनके अनुसार, धर्म के प्रचार-प्रसार में संघ का योगदान अविस्मरणीय है और ऐसे संगठनों को उनका हक मिलना चाहिए।
⚖️ क्या वाकई संघ पर बैन संभव है?
यह सवाल अब देश में चर्चा का विषय बन चुका है। क्या एक लोकतांत्रिक देश में एक गैर-राजनीतिक सामाजिक संगठन पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है? संघ की कानूनी स्थिति और इसके सामाजिक योगदान को देखते हुए यह आसान नहीं लगता। हालांकि, कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर गंभीर दिखाई दे रही है।
🔥 भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या भी उतरे मैदान में
यह विवाद तब और गर्म हो गया जब भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने एक पोस्ट में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को निशाने पर लिया। इस पर पलटवार करते हुए प्रियांक खरगे ने उन्हें सीधी चुनौती दे डाली।
उन्होंने लिखा,
“तेजस्वी, अगर हिम्मत है तो यह कहो कि मुझे RSS की जरूरत नहीं है, मैं सिर्फ मोदी और नड्डा के नेतृत्व में चुनाव जीत सकता हूं।”
प्रियांक ने यह भी पूछा कि जब देश संकट में होता है, तो प्रधानमंत्री संसद में चर्चा करने की बजाय नागपुर क्यों जाते हैं, जो कि RSS का मुख्यालय है।

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🔍 सोशल मीडिया पर बहस तेज
इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर भी जनता बंटी नजर आ रही है। एक ओर कुछ लोग प्रियांक खरगे की बातों को बोल्ड और सेक्युलर सोच मान रहे हैं, वहीं दूसरी ओर एक बड़ा वर्ग इसे हिंदू विरोधी मानसिकता करार दे रहा है। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर #RSSBan, #DhirendraShastri, #PriyankKharge ट्रेंड कर रहे हैं।
📌 क्या बोले राजनीतिक विश्लेषक?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान एक रणनीतिक चाल हो सकती है। इसके जरिए कांग्रेस एक विशेष वोट बैंक को टारगेट कर रही है। लेकिन इसके परिणाम उल्टे भी हो सकते हैं, क्योंकि RSS का नेटवर्क देशभर में फैला हुआ है और इसका सीधा संबंध कई सामाजिक कार्यों से है।
🕉️ धर्म और राजनीति का टकराव
धीरेंद्र शास्त्री की प्रतिक्रिया से यह स्पष्ट हो जाता है कि संत समाज राजनीति में सीधी टक्कर लेने से बचना चाहता है। वह सिर्फ धर्म और संस्कृति की रक्षा के कार्यों में विश्वास रखता है।
उनकी बातों का सार यही है कि –
“धर्म को राजनीति से दूर रखना चाहिए। सनातन का मार्ग सभी के लिए है और उसमें किसी प्रकार का भेदभाव नहीं है।”
🔚 निष्कर्ष: बैन की बात या वोट बैंक की राजनीति?
प्रियांक खरगे का बयान और उस पर धीरेंद्र शास्त्री की संतुलित प्रतिक्रिया ने एक बार फिर दिखा दिया कि देश में धर्म और राजनीति के बीच की रेखा कितनी पतली हो चुकी है। जहां एक ओर राजनीति में ध्रुवीकरण साफ नजर आता है, वहीं संत समाज संयम और संतुलन की मिसाल पेश कर रहा है।