Kailash Mansarovar Yatra: जिसे देखने खुद ब्रह्मा भी तरसते हैं, 6 साल बाद खुले उस कैलाश के द्वार, शिवभक्तों की आस्था ने रचा इतिहास

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Kailash Mansarovar Yatra: जिसे देखने खुद ब्रह्मा भी तरसते हैं, 6 साल बाद खुले उस कैलाश के द्वार, शिवभक्तों की आस्था ने रचा इतिहास
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Kailash Mansarovar Yatra: “कैलाश मानसरोवर यात्रा” की शुरुआत आज से आरंभ हो गई है। यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था की द्योतक है, बल्कि हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन धर्मावलंबियों के लिए जीवन बदल देने वाला अनुभव मानी जाती है। इस ब्लॉग में हम कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील की पावनता, यात्रा मार्ग, तैयारियों और इस यात्रा के आध्यात्मिक युक्तियों पर विस्तारपूर्वक चर्चा करेंगे।


Kailash Mansarovar Yatra का धार्मिक महत्व

  • हिंदू धर्म में भगवान शिव का धाम: कैलाश पर्वत को शिव का लौकिक धाम माना जाता है। यहाँ शिव-शक्ति का पूरक रूप दर्शाया गया है।
  • बौद्ध धर्म में चक्र लोटस स्थल: यह जगह बुद्ध के जन्मस्थान से जुड़ी धार्मिक मान्यताओं का केंद्र रही है।
  • जैन धर्म में पार्श्वनाथ तत्त्व: यहाँ भगवान पार्श्वनाथ की तपस्या का महत्व है।
  • बोन धर्म के लोग इसे मृत्यु-मुक्ति का द्वार मानते हैं।

यात्रा के मार्ग व विकल्प

आज के दिन से शुरू हुई यात्रा के दो प्रमुख रास्ते हैं:

🔹 उत्तर-पश्चिम मार्ग (कोशी मार्ग)

  • बिजलीगंगा (टेक्सिला) पठार से शुरू होकर यारी और ज़ाँगला से होते हुए पहुँचा जाता है कैलीश भाग (किलिंग चुरा) को।
  • पैदल चढ़ाईवंबर की शुरुआत में काफी कठिन होती है।

🔹 दक्षिण-पूर्व मार्ग (निमा मार्ग)

  • इंडिया-चीन बॉर्डर पास हेस्त (निमा) से पहले झापा, अर्पात्से व झांदांग होते हैं।
  • बाद में पैदल हिमालयी रास्तों को पार करते हैं।
Kailash Mansarovar Yatra: जिसे देखने खुद ब्रह्मा भी तरसते हैं, 6 साल बाद खुले उस कैलाश के द्वार, शिवभक्तों की आस्था ने रचा इतिहास

Kailash Mansarovar Yatra की अवधि व लागत

  • कुल मिलाकर यात्रा लगभग 18–25 दिन में पूर्ण होती है।
  • परमिट, टिकट, गाइड-सहयोग, पोर्टर, हेल्थ चेक-अप और बीमा मिलाकर किराया लगभग ₹1.5 लाख से ₹3 लाख तक हो सकता है।

बैग पैकिंग व तैयारियाँ

  • स्वास्थ्य जांच: यात्रा के पहले उच्च हिमालय के लिए फेफड़ों व हृदय का परीक्षण जरूरी।
  • उपकरण: ऊँचाई के लिए सर्दी से बचाव हेतु जरुरी हैं – थर्मल कपड़े, विंडप्रूफ जैकेट, गलीवारे आदि।
  • दवाइयाँ: डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, बुखार, सिरदर्द जैसी समस्याओं के लिए प्राथमिक दवाइयाँ साथ रखें।
  • अन्य आवश्यक वस्तुएँ: सनस्क्रीन, लैम्प, बैटरी, हाई-एंटीऑक्सीडेंट स्नैक्स, पानी के फ्लास्क आदि।

कैलाश मानसरोवर की झरोखा

  • मानसरोवर झील: समंदर तल से लगभग 4,590 मीटर की ऊँचाई पर स्थित, इसे सृष्टि का “तुमुलमय जल” भी कहा जाता है।
  • तीर्थयात्रा परिक्रमा (कौड़): झील और पर्वत के चारों ओर लगभग 52 कि.मी की परिक्रमा होती है।
  • गंगा स्नान कंबल दान: धाराओं और झील में स्नान कर पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • कालापानी स्थान: झील के किनारे स्थित, जहाँ ज़रुरी जलदान व स्नान किए जाते हैं।
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धार्मिक विधियाँ व अनुष्ठान

  • मंत्र उच्चारण: विशेष मंत्र (ॐ नमः शिवाय, ॐ मणिपद्मे हुम्) जाप के लिए आदर्श स्थल है।
  • धूप-दीप-चढ़ावे: झील के पास अर्पित करना शास्त्रानुसार प्रिय होता है।
  • माला ध्येय-ध्यान: ध्यान व ध्यान साधना करने वाले यहां केंद्रित अनुसार विचार विमर्श करते हैं।

यात्रा के अनुभव व चुनौतियाँ

  • ऊँचाई का असर: एक्यूट पर्वतमाला सिकनेस (AMS) के लक्षण जैसे सिरदर्द, साँस की कष्ट मुख्य चिंता होती हैं। समय पर पर्याप्त पानी पीना व डॉक्टरी सलाह अनिवार्य होती है।
  • मौसम की परिवर्तनशीलता: बर्फबारी, तेज हवाएँ और बारिश जैसी परिस्थितियाँ सुनिश्चितत: ध्यान रखें।
  • मानसिक सहनशीलता: एकाकीपन, कठिन रास्ते और नींद की कमी को आत्मबल से पार करना सुविधाजनक होता है।

तैयारियों के सुझाव

  • हफ्तों पहले एल्टीट्यूड वॉक ट्रेनिंग करना।
  • योग प्राणायाम सुधार हेतु नियमित अभ्यास।
  • पहले किंचित अवधि में मेडिटेशन द्वारा मानसिक धैर्य व संतुलन।
  • प्री-पैक्ड ट्रैवल किट जिससे कि कोई जरुरी सामान न भूले।
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कैलाश मानसरोवर का आध्यात्मिक असर

  • आत्मिक शुद्धि: सुव्यवस्थित सोच व आत्मज्ञान।
  • संतुलन: आत्म-विकास, मानसिक शांति व सकारात्मक ऊर्जा।
  • आध्यात्मिक जागरूकता: धर्मग्रंथों, मनोग्तियों व ब्रह्मांडीय अनुभूतियों का प्रत्यक्ष अनुभव।

🔚 Kailash Mansarovar Yatra

कैलाश मानसरोवर यात्रा केवल एक यात्रा नहीं है, बल्कि देशीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और आत्म-गहन अनुशीलन का अनुभव है। इस ब्लॉग में वर्तमान यात्रा की जानकारी, तैयारियाँ, अनुष्ठान और आध्यात्मिक असर का समग्र वर्णन प्रस्तुत किया गया है, जिससे आपके पाठकों को स्पष्ट और लाभप्रद मार्गदर्शन प्राप्त होगा।

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