सोमनाथ मंदिर का वो इतिहास जिसमे भगवान की शिवलिंग बिना किसी के सहारे से हवा में लटकती थी, जानिए रोचक तथ्य सोमनाथ मंदिर, जो गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है, भारतीय धार्मिक इतिहास में एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। सोमनाथ मंदिर न केवल अपनी धार्मिक महिमा के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके इतिहास में कई दर्दनाक आक्रमणों और मंदिर के टूटने की घटनाओं का भी जिक्र है। आइए, जानते हैं सोमनाथ मंदिर के इतिहास की कुछ महत्वपूर्ण बातें:
1. सोमनाथ मंदिर का इतिहास:
सोमनाथ मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राजा सोमराज ने किया था। यह मंदिर भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है। सोमनाथ शब्द का अर्थ “सोम” (चन्द्रमा) और “नाथ” (स्वामी) है, यानी चन्द्रमा के स्वामी भगवान शिव।
2. आक्रमण और मंदिर का टूटना:
सोमनाथ मंदिर पर कई बार आक्रमण हुए थे, और यह कई बार नष्ट हुआ। सबसे प्रमुख आक्रमणों में से कुछ निम्नलिखित हैं:
- महमूद गजनवी का आक्रमण (1025): महमूद गजनवी, जो अफगानिस्तान का शासक था, उसने 1025 में सोमनाथ मंदिर पर हमला किया। उसने मंदिर को लूटा और भगवान शिव के प्रसिद्ध सोने के शिवलिंग को तोड़ा। इसके बाद उसने मंदिर को ध्वस्त कर दिया और मंदिर से बहुत सारा सोना, चांदी और रत्न लूट लिए।
- आदिल शाह और औरंगजेब के आक्रमण: महमूद गजनवी के बाद भी कई मुस्लिम शासकों ने सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किए। 17वीं सदी में औरंगजेब ने भी इस मंदिर पर हमला किया और इसे फिर से नष्ट करने की कोशिश की, लेकिन मंदिर का पुनर्निर्माण होता रहा।
3. शिवलिंग का रहस्य:
सोमनाथ मंदिर के शिवलिंग के बारे में एक दिलचस्प कहानी है। कहा जाता है कि इस शिवलिंग का आकार इतना बड़ा था कि यह लगभग 1,000 साल पहले हवा में लटकता था। यह शिवलिंग समुद्र के किनारे स्थित मंदिर में रखा गया था, और इसके नीचे से समुद्र की लहरें उठती थीं। कुछ लोग मानते हैं कि यह शिवलिंग कभी समुद्र से उभरकर अपने स्थान पर स्थापित हुआ था। हालांकि, जब महमूद गजनवी ने मंदिर को नष्ट किया, तो शिवलिंग को भी तोड़ा गया था।

4. सोने की लूट:
महमूद गजनवी द्वारा किए गए आक्रमण के बाद, सोमनाथ मंदिर से बहुत सारा सोना, चांदी और रत्न लूटे गए थे। उस समय सोमनाथ मंदिर को एक समृद्ध और ऐतिहासिक स्थल माना जाता था, जहां की सम्पत्ति बहुत अधिक थी। गजनवी ने मंदिर के खजाने को लूटा और इसे अफगानिस्तान वापस ले गया।
5. पुनर्निर्माण और वर्तमान मंदिर:
सोमनाथ मंदिर को कई बार नष्ट किया गया, लेकिन इसका पुनर्निर्माण हमेशा हुआ। 1950 के दशक में, भारतीय सरकार ने मंदिर का पुनर्निर्माण किया और इसे फिर से एक प्रमुख तीर्थ स्थल बना दिया। आज का सोमनाथ मंदिर पहले से कहीं अधिक भव्य और आकर्षक है। यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।
निष्कर्ष:
सोमनाथ मंदिर का इतिहास कई आक्रमणों और पुनर्निर्माणों का गवाह रहा है। यह मंदिर भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, और इसके ऐतिहासिक महत्व को कभी नकारा नहीं जा सकता। इसके हर एक भाग में भारतीय इतिहास और संस्कृति की अनगिनत कहानियाँ छुपी हुई हैं, जो हमें अपनी धार्मिक आस्था और गौरव से जोड़ती हैं।
यह मंदिर आज भी भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति का केंद्र है, और हर भक्त के लिए यह एक महान धार्मिक स्थल बन चुका है।